रविवार, 22 नवंबर 2009

हमर विपरीत पद्धति 2

( पछिला पोस्टिंग़ क़ॆ बाद) ...हमर जायज शंका छलए जे एत्ते श्रम स' ई अनुवाद क' रहला अछि, त' पूछि लेबाक चाही जे एकरा छपतनि के, फेर एकरा पढतनि के? हुनका से सब नहि बुझल छनि। रिटायर क' क'बैसल छलंहु
कोनो काज नहि छल , भजार कहलनि जे बैसल छी, कियैक ने भागवतक मैथिली अनुवाद करै छी, मैथिली मे छैको नंइ। बस क' रहल छी। आब एकरा के छापत, के पढत(?) से जानथि महरानी(काली)! आब भजारक कहला पर पंडित जी रोज महीनो स' मेहनति क' रहल छथि से आर के क' सकैत अछि बिनु अखजी लोक के ? यैह तटस्थता, यैह निर्लिप्तता, यैह फलक आस बिनु केने कर्म रत रहबाक परंपरा हमरा सब (मैथिल) के आन लोक सब स' अलग करैत अछि, विशिष्ट , निविष्ट आ अनुकरणीय बनबैत रहल अछि। ई दुर्भाग्य जे हुनका मुइलाक बाद जे सासुर गेलंहु त' एक दुपहरिया पछवाक तोड पर वैह मोती सनक आखर मे कैल अनुवाद भरि आँगन उडियाइत देखलियै। तेन किम् ! बुढा त' अपन काज क' क' चल गेला, आब लोक ओकरा संगे जे करय !

शनिवार, 21 नवंबर 2009

हमर विपरीत पद्धति

ओना अखज लोक सब ठाँ, कहैक माने जे सब समाज मे भेट जायत, मुदा मैथिल एक त' एहन कोनो मोंछक लडाइ मे पडबे ने करत, आ जँ बाबू पडि ग़ॆल त' हठ्ठे छोडबो ने करत। अपन सासुरक गप्प कहै छी, ओइ ठाम कहाँअ दू गोटा मे गौंआ लागल रहनि। घरो एके टोल मे रहनि।एक गौंआ त' पढि -लिखि क' शास्त्रीय आचार्य तक पढि गेल रहथिन आ बहुते स्मार्ट सूरत गुजरात मे पढौनी क' क' चिक्कन पाइ कमाइत रहथि। दोसर गौंआ के दू_चारि बिगहा धनहर खेत बंटाइ पर लागल रहनि।पहिलुका जमाना रहै।खेत उपजै।बंटाइदार बैमानी नंहि करै। लोक उदार छलैक ओहि ठाँमक। खत्ता_खुत्ती, डबरा_डुबरी, पोखरिं_झाँखडिक कमी रहबे ने करै। बागमती मेबाढि अबै । बाढि मे मांछ अबै।दोसर गौंआ एकटा कडची मे बंसी बना भरि दिन मांछमारे। सांझ तक तीमन जोगरक भ' जाइ।घर जाय आ 'मांछ भात_सात हाथ" कहैत अफडि क' भोजन करय आ आ पसरि क' पडि रहय। एक बेर एकर गौंआ सूरत स' घुरलै त' बडा सिनेह स' गौंआ लए घडी किनने एलै।तहिया घडियो अलभ्य रहै। मुदा समस्या छलै जे दोसर गौंआ घ्डी देखतै कोना, ओ त' लिख लोढा_पढ पथ्थर छलए। गुजराती गौंआ एकरा बडे धुसलकै, रेवाडलकै, गंजनक त'र देलक।घडियो ने देलकै। एकरा बड्ड दुख भ्लै। पैंतीस बर्खक छलए जे कलम छूने छल। हमर बियाहक साल ओ मैट्रिक के परीक्षा दै बला छल।....एक गोटे के पुछलियनि_" ई की लिकहै छियै ?"त' कहलनि जे ई भागवतक मैथिली अनुवाद छिय्

मंगलवार, 17 नवंबर 2009

वैदिकी हिंसा__हिंसा न भवति

हिन्दू धार्मिक कर्मकांड प्रतीक स' भरल छैक। ओना त' मूर्ति, अपना आप मे एक महान प्रतीक के अलावा आर की छियै ? धर्मक नाम पर जत्ते आ जेहन_जेहन अत्याचार भेलैये, ओत्ते त' राजनीति कि युध्धो स'
नंइ भेलैये। पूजा कि आराधनक अंतर्गत बलिदानक नग्न रूप आब हिन्दू कि इस्लामे टा मे बंचल छै। अपना मिथिला
मे जैं कि अधिक हिन्दू शाक्त छथि, तैं 'जोडा छागर' कबुलबाक हिस्सक कने बेसिये छैक। शारदीय नवरात्रा मे छाग मुंडक ढेर, पूजाक अवश्यम् आ आम दृष्य अछि। गाम गेल रही (गाम माने _"गाम नवहट्टा,परगन्ने कबखंड, थाना चर्राइन, जिला सहरसा पुराना भागलपुर) त' एकटा छोट सनक 'पाम कैम' स' ई दृष्य़ क़ॆ लेलंहु आ बेर्_बेर एकरा देख क' भेल जे ई हिंसाक कोनो विकल्प नंहि छै की ? धार्मिक कर्मकांड मे हिंसाके स्थान द' क' की हमरा सब हिंसा के महिमामंडित नंइ करैत आबि रहल छियै ? आजुक हिंसा, असहिष्णुता आ बेपीर जीवन मे हिंसाक एहन महिमामंडन करब कि आबो उचित छैक ? आइ ने काल्हि__विकल्प त' तकबेक हेतै । सेजत्ते जल्दी हुए, कोनो एहन बाट ताकब जरूरी छै जाहि स' धार्मिक कर्मकांड मे खलल नंइ होइ आ हिंसो रुकै।

सोमवार, 16 नवंबर 2009

जीबी त' की की ने देखी !

आब एकरा क्यो अक्कामे चक्का लगायब कहय कि आर किछु, मुदा श्रीनगर की नवहट्टा स' जँ क़्य़ॉ ई मेल करय...(फोन त' आब बड्ड आम भेल छै।) रोंइयां त' भुलकिते छै की ? किछुए दिनुका देरी छै, सब किछु एक्के क्लिक मे संभव भ' जेतै। मृत्यु स' जन्म आजीवन; सब किछु यैह सम्हारतै। से एखनो एकरा (कंपूटर बाबा के) सम्हारै लए कहबै त' ककरो स' नीक जेकाँ सम्हारि देत, अहाँ के पतो नँई लगैत।
साहित्य मे अपन कुल_खान्दानक वर्णन आ तत्जन्य नीक गंजन कैक बेर सुनैत लोक के देखने छियै। दोसर कने बढि_चढि क' अहाँक पुरखाक चर्चा_प्रशंसा करै त' बात बुझै मे अबै छै, मुदा अहाँक हाथ मे कलम अछि त' बस अपन कुल खान्दानक़ बडाइ करैत रहबै से पढत के ? मुदा, एखनंहु, जिनका जमिन्दारीक खुमारी नंहि टुटलनि अछि, हुनका लेल, 'लौस्ट ग्लोरी' मे जियैक अलावे रास्ते की छनि।एत्ते दिन मे क्यो ड्यौढीमे रहनिहार सरकार सब किछु तेहन नंइ क' सकलखिन जे दस लोक चिन्हैन। हुनको लए 'हमर बबाके हाथी, तैं सिक्कडि देखियौ !' एकर अलावे उपाये की ? तैं आब 'श्रीनगर ड्यौढी' स' बेसी हैपनिंग प्लेस, श्रीनगरक हाट_बज़ार कि बस्ती मे हेतै से ओहि इलाका के विषय मे लिखैवला के सतत ध्यान मे रखबाक चाहियै। लोक स' अपना के जोडै लए ड्यौढी स' त' निकलंहि पडत भाइ !अतिकाल भ' रहल अछि, सामान्यीकरण मे विलंब भेला स' सब किछु गडबडायल अछि; आ सैह रहत। तैं अपना सब के बिसरि क' सबके सुधि लियौ ने, सब मे अहूँ छी ने भाई ?

गुरुवार, 12 नवंबर 2009

लिखैक वेगरता

हमरा लगैये जे जेना नेता सब के भीड,मंच आ माइक के देखिते किछु सबसबाय लगैत छै, तहिना किछु लेखको होइ छनि। कहिया कत' दू_चारि टा रचनाक की चर्चा भेलनि, बस भ' गेला स्थापित । तहिया स' जँ कोनो साहित्यिक मंच नज़रि एलनि, कि कुर्सी हथियेबालय वृतोष्मि भेटता। पटना मे मुन्नक़िद पुस्तक मेला मे नामवर संगे आलोकध न्वा के बैसल देखि लागल जे लेखन आ साहित्यक राजनीति, दुनू दू छोरक चीज छैक, जे एक संगे भैये ने सकैत अछि। मैथिलीमे एखन तक अपन मांटिक़ उदारता, अयाचीवृत्तिक छिकार छैके। एखनो बिना विचारने_सिचारने, जे ई के छापत आ कि तहू स' बढि क' जे एकरा के पढत ? लोक लिखैये, लिखिते जारहल अछि।
हमरा जनैत पढैक वस्तु( कोन आ केहेन ?) भेटतै त' लोक पढबे करतै।
तैं कि आब लोक 'चमेली रानी' लिखय ?

गुरुवार, 5 नवंबर 2009

भ्रष्टाचार आजुक सदाचार

यदि सत्य पूछी त' लालू बिहारक राजगद्दी पर बैसल त' संयोग स'___मुदाओकर एहन कैकटा निर्णय छैक जकर मारल बहुत दिन तक बिहारी लोक काँई_काँई करैत रहत।ओना ज' गनाब' लागी त' लालू कालक, आ लालूक कैलहा भ्रष्टाचार पर (ललुआके कोनो मुंहलगुआ भने लिखि दौ, नहि त' ओकरा कत' स' अवगति एलै किताब लिखैके ?) कैकटा ने 'बेस्ट्सेलर' लिखल जा सकैत अछि।
ओ भ्रष्ट_आचार के सही आचार बना देलकै। पकडायल त' जेलेके फाइभ स्टार होटल बना क', बाहुबली नेता सबके रास्ता साफ क' देलकै। अपन अनपढे नंइ, गंवार बहु के सोइरी आ भनसाघर स' खींच क' मुख्य मंत्री बना क' लोकतंत्रक विपर्ययके तत' ल' गेलै, जे आब मधू कोडाक' हज़ारों_लाखों करोड टाका भोजन क' जयबाक सनसनीखेज़ खबरि कन्नेको उत्सुकता नहि जगबैत छै। गणित कैल गेलैये जे ओकर प्रतिदिनक आय ढेढ करोड टाका छलै....महलमे रहै छल, देश_विदेश जा जा क' विपन्न आदिवासी_बनवासी सबहक टाका ल' क' छ्हर_महर करैत छल।तैं दू_दू ठाम, दू दू बेर लोक देख लेलकै_ने छोट _पैघ जाति स', ने धनिक_गरीब भेला स', ने पढल कि मूर्ख रहला स' किछु फर्क पडै छै। 'ईज़ी' मनी हाथ लगिते, ने कोनो आचार, ने कोनो विचार, आ ने कोनो संस्कार रहै छै__बस दूनू हाथे जत्ते हंसोथि सकी से हंसोथि ली, चाहे तकर बाद अस्पताल कि जेले मे कियै ने रह' पडै। यैह ललुओ केलक, आ सैह मधू कोडा एंड कंपनियों केलनि। भ्रष्टाचार के ललुआ__ लोकाचार कि सदाचार बना देलकै। सह्जें लोक ई जातिक बुद्धिक डर मानैत अछि ? वोट मंगै लए फेरयैह सब आयत, तखन मोन रहत ने ?

शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2009

धनधन अंग्रेज बहादुर् बहादुर्

लिय' ओत्त' लंडनमे फेर सगूफा छूटल अछि...कहाँ दन कोनो संस्था पढल_लिखल
हज़ारों अंग्रेजबा सब स' पूछल कै त' मात्र तीने प्रतिशत गछल कै जे ओक्ररा ईश्वर के असतित्व मे विश्वास छै, नहि त' 97 प्रतिशत मूडी डोला देलकै। एहन सन क्रम जेना होइत होइ कि नहिं; छै कि नहि छै; एकरा सोचि क' माथा खराब करबाक ककरा पलखति छै ? माने ईश्वरक भेनाइ नहि भेनाइ के अंग्रेज़ सब लए कोनो मानि नहि छै । अंग्रेज़ धन्य; ओकर पछिलग्गू, ओकरो स' धन्य। बच्चा रही त' एक टा बहादुर (नेपाली ) रहै। रमकै त' बडा मीठ सुर मे गावय__'धनधन अंग्रेज़ बहादुर, पानी जहाज चलाये को हावा मे जहाज उडाये को...धनधन अंग्रेज़ बहादुर.....

रविवार, 18 अक्तूबर 2009

मंगनीक चन्दन,,घंस रघुनन्दन् रघुनन्दन्

कोनो नवहटिया के कहबै ने, त' कहै स' पहिने हँस' लागत। नवहट्टा मे सदाय स' गप्पी नहि...एहन गप्प होइत रहलैये जे गप्पी सबहक गप्पक विषय हो...कने सोचियौ ने जे ताडक गाछक क्यो बियाह करेने हैत कत्तौ ?किन्नहु ने ।महराज दरभंगो कुकुरे बिलाइ तक सीमित रहला।मुदा नवहट्टा मे भेलैये । ककरो पाइ हेतै त' ऐ बैबे कि ओइ बैबे ओ गाम मे बँटने फिरतै ? मुदा आइक तारीख मे पचीस_पचास टा नभटिया एहन हैत जे कत' ने कत' स'___कैक करोड कि कैक अरब टाका कमा क आयल ओ नभटिया, कम्मे वयसक एकदमे निम्न मध्यम वर्गक ओ नवयुवक स' पाबि रहल अछि । चाहे जेना कमायल हो, टाका के ओ औकात बता रहल छै ।कहै टा नहि छै ओ नवहटिया युवक एन।आर.आइ.....जकरा पर ढरल, दू _चारि....हज़ार नहि महराज, दू_चारि लाख द' दै छै । छै कोनो गाममे कोनो एहन् धनपति ? एखन दस_बीस_टा नवहटिया ऊठि बैसल अछि। सबहक मोनमे जेना.... ऐसा मौका फिर कहाँ मिलेगाक.. भाव।
भने सब बरदायल अछि। खाली मरं_मोकदमा ,झांई_झंझट नहि करे। नवहट्टामे ओलबा _दोलबा नहि उठाबय, आ अंत मे मन्दिर बनाबय; जल्दी।

"रेलीजियस ब्लैक्मेल"

बुझले हैत, सब नवहटिया जकाँ हमहूं ओत्तै रही जकरा लोक नवहट्टा कहै छैक! बीस बाइस दिनुका नम्हर स्टे मे कहियो पुरनका उत्सवक रौनक लगैत...पूजाक ओ पुरना खुनकी कत्तौ हवा_वसात मे बुझाइत...कत्तहु किछु नहि । ओकर लसि नहि भेटत जे हमरा सबके कहियो बिना मोलेक भेटैत रहैत छल...पूजा मे पैघक आशीर्वाद,सिनेह आ दुलार, मोनक उछाह_उद्गार, बाल_बोधक प्यार_दुलार !आब, अहि गाममे भक्ति बिकाइ छैक ! पूजा जेना पहिने कोनो ज़मिन्दार की राजाक ज़मानामे एक गोटेक मोने होइ छलै तहिना अइ बेर एकटा एन.आर।आइ अपन जेबी स' पूजा केलक।अहि मे चाहे एकशताब्दी स' चलल आबि रहळ पद्धतिक हनन होइत हो कि कैक दशक स' चलल आबि रहल ओकर सार्वजनिक रूप समाप्त भ' गेल हुए। सर्व प्रथम त' हर नवहटिया ई पुछ' चाहैछनि जे राज बनैली कि राज श्रीनगरक अक्षुण्ण कृति पर कोन अधिकार स' ओ अपन पिताक नाम लिखवा रहला अछि ? विगत दू वर्ष मे अन्दाजन करोडॉ रुपैयाओ खर्च केलनि अछि ? एत्ते ओ कोन पैसा खर्च क' रहला अछि एक नम्बरक ? कि एक नम्बरक पाइ अहिना खर्च कैल जाइ छै? कि नवहट्टा मे मन्दिर बनै स' पहिने नवहटिया सबके अराजकता आ हिंसा सह' पडतैक ? कि मन्दिर बनेबाक यैह रास्ता ओ लक्ष्मी पुत्रके सुझेलनि जे ओहो लोकने चिन्हाइ छनि जे जगत विदित अछि ? सत्ते, अधिक पाइ भेने सोच_विचार_उचित_अनुचित सब किछु बिसरि जाइ छैक। मुदा जँ ओ मन्दिर बनि जाई त' सत्ते अक्षरधामक नकल हेतै ! चौंकियौ नंइ बाबू, नवहट्टा छियै...जे हेतै से_ राज श्रीनगरक छै राज श्रीनगरक छलै जे वस देखिये देखन जोगू.....से चाहे मारिये कियै ने हुए....ओना लक्ष्मीपुत्रक सौ गुनाह माफ....पहिने मन्दिर त' बनए। हं अहि बीच नवहटिया चालिमे फंसि कं दू_चारि चमचा सबहक दुश्मनीक बदला सधबै मे जँ लक्ष्मीपुत्रक अहिना 'इस्तेमाल' भ' जानि त' कोन आश्चर्य ? ओना मन्दिर बनबै स' पहिने बापक साइनबोर्ड टाँगब कोनो नीक बात भेलै ? हम पुछै छी ? आ छोट_छोट छौंडाके फरमाबरदार बनबअले लाखों रुपैया कि मोटर साइकिल द' देब...ओकरा गुंडैक ट्रेनिंग देब...कोनो नीक बात भेलै...मन्दिर बनायब कीर्ति करब थिकै...कीर्ति यज्ञ स' होइ छैक जाहि स' लोकक मोन स' यज्ञ कर्ता लए आशीर्वाद हार्दिक आशीर्वाद निकलै छै तखन ओ सफल मानल जाइ छैक। जाहि यज्ञ मे झगडा आ मोकदमा भेल ओ त' शूरू होइ स' पहिने असफल यज्ञ अछि । तैं __अष्टादशपुराणेषू व्यासश्य वचनद्वयम/ परोपकाराय पुण्याय पापाय परपीरणम्॥

शनिवार, 19 सितंबर 2009

असली प्रशंसा

जेना कोनो बरियाती गेला स' शारीरिक असुविधा छोडि एक्केटा वस्तु भेटैत छैक आ ओ थीक लोक, अपन लोक एक ठाम, तहिना साहित्यिक गोष्ठीमे गेला संता सैह फैदा होइ छै।काल्हि स्व।हरिमोहनझाजीक जयंती आयोजन मे जा सैह लागल।आब कहां क्यो किछु एहन कहैत अछि जे मूडी घुमा क' देखियै आ कान पाथि क' सुनियै।सब ठाँ अहाँके वैह भेटत जेकरा अहां चर्वित चर्वण कहि क' अंठा दियै' ।काल्हि अहिना एक टा उदयीमान लेखक आ वर्तमान 'परफेसर' एना बोर केलनि...अहि स' नीक त' हरिमोहनबाबू पर विद्यार्थी स लिखैत अछि।की विलक्षण जे हमरो कैक परीक्षामे हरिमोहनबाबूक रचना पर लिख' पडल अछि। की आश्चर्य जे ओ हमरो पढेने छला आ हमर पितृव्य(श्री दिव्यानन्द सिंह) के सेहो।अपन बात कहैत हम सत्ते कहलियै जे एखनो जँ मोन उबियाइत अछि, की करी की नहि करी...की पढी...की नहि पढी...? त' हम हरिमोहनबाबूक कोनो किताब पढ' लगै छी। कोनो लेखकक, हमरा जनैत सब स' पैघ प्रशंसा यैह छियै...ई जँ क्यो हमरा कहैत त' हम फूलि क' कुप्पा भेल रहितौं। आमीन।

बुधवार, 16 सितंबर 2009

लेखक आ लेखनक अनजानल पक्षपक्ष

एक टा निमंत्रण पत्र पर मुंशी प्रेमचन्द तुकाबन्दी(तुकबन्दी) केने रहथि_'सब के लिये निमंत्रण अपना जन मानें/ और पधारें इसको अपना ही घर मानें।' अहिना स्व। किरण जीक पांती भेटल__"किंतु मैथिली का तो मैं ही एक मात्र आधार/ मेरे बल पर ही अब तक है इसमे जीवन का संचार" । यात्री बाबा, माँ मिथिला के अंतिम प्रणाम कैक बेर केने हेता, कैक बेर ओइ धूल_धूसरित,षडयंत्र स' परिपूरित, कैक युगक जडताक मारल मिथिला घूरि क' नहि जाइ, हमरे जेकाँ सोचने हेताहे__मुदा लिखै छथि__"यश_अपयश हो,लाभ_हानि हो,सुख हो अथवा शोक/सभ स' पहिने मोन पडैछ अपने भूमिक लोक।" अपन भूमि...अपन लोक...ककरा ई लोकनि कहथिन ? हमरा त' होइत अछि जे लेखक कवि लोकनिक बारे मे ओहेन बात जनाबी जे ककरो बूझल नहि छैक। मुदा से आब फेर कहियो।

शनिवार, 12 सितंबर 2009

लिखबाक बेगरता

लिखैक वाध्यता मे कखनंहु नीको चीज़ लिखा जाइ छै ! हमरा अपन आ आनोक कैक टा रचना सब मोन पडि आयल जे अत्यधिक दबाब आ तनावमे लिखायलछलै। पैघ लेखक यथा रेणुजी(फणीश्वरनाथ रेणु) कि राजकमल,यात्री आदि आर्थिक दबाब मे लिखै छला; संपादक किंबा प्रकाशक के तगादा अबै छलनि ,लिखै जाइ छला।
शरद होथि कि अज्ञेय, पैसा बहुत पैघ मोटिभेटिंग फैक्टर छलै। सुकुर छैक जे आइ तक पैसा ई त' डिसाइड केलक जे के लिखत, कहिया लिखत ? मुदा की लिखत ? ई एखनंहु लेखके निर्णय करैत अछि।अइ देशक लोकके भूखल राखि दियौ, असुरक्षित रह' दियौ सब सहि लेत___मुदा मुंह जँ' जाबि देबै, बजैलए जँ' नंहि देलियै, त' विद्रोह क'
देत। लिखैक वाध्यता तखनो होइ छैक जखन बजै पर पाबन्दी हुए।इन्दिराक इमरजेंसी में एकर नीक अनुभव भेल लोक के !

गुरुवार, 10 सितंबर 2009

हम अपना के आलसी नँइ बूझै छी, क्यो आइ तक ई 'रीमार्को 'ने देलक।जखन कि बच्चे स' हमर सब क्रिया_कलाप के लोक देखैत आयल , नीक बेजाय,जे भेलै से कहैत आयल।मुदा पता नँइ आइ काल्हि गाम जायब दुर्ग बूझि पडैत अछि, जखन कि संचार क्रांतिक कारणे कहबे केलंहु जे आवागमन बहुत सुलभ भ' गेल छैक। मुदा शनैः_शनैः रेडिओ मे काज केला स' जे चुस्ती_फुर्ती हमर स्वभाव बनि गेल छल अछि, से वयस आ कोनो डेडलाइन पकडै के बेगरता बिनु बिझायल जा रहल अछि। त' की हमरा कोनो व्यस्तता तकबाक चाही ? हमर चाची जी एक टा फकडा कि लोकोक्ति जे कहियै, कहैत रहथिन जे__"मरैक सोचि क' खेती नँइ करी आ जीवी त' खाई की?" लिखैयो लेल हमरा अहिना अपना के जोर लगब' पडैत अछि। भ' सकैत अछि ई वयसक कारणे हुए; पहिनो त' किछु काज रहै जे करैमे हमरा आसकति लगैत रहै ! नँइ, हमरा अपन समय के सब स' सही उपयोगक उपाय सोच' पडत।

मंगलवार, 8 सितंबर 2009

काल्हुक चर्चा के आगां बढाबी । संचार क्रांति स' जेना पार्थिव दूरी घटलैये___मोनक दूरी ओतबे बढैत गेलैये। गामक लोक आब सम्हरि क' बजै छै । पहिने हम शहर स' आबी त' गामक लोकक बेबाकी देखि क' अचरजमे पडि जाइ।अपन गोपनीय स' गोपनीय बात के एत्ते सहजता स' ओ लोकनि कहथिन, एना निष्कलुष भ' क' जे हम जे अवाक होइ से फुरबे ने करय जे की बाजी ! मुदा आब हमर गामक लोक पौलिश्ड भ' गेल अछि, बेसी टोनबै त' तेना दिल्ली बला 'तेरे को_मेरे को' छांटत जे टराटक्क लागि जायत। तैं गाम स; आब गामक सब गुन चल गेलैये.... शहरक सब दुर्गुण
पग_पग पर भेटत। सुधा दूध आब बिकाय लागल अछि गाम मे, तथाकथित अंग्रेजी दारूक दोकान गत दस वर्ष स' बेसी स' अछि। कोनो जनी_जाइत पहिने जकाँ नहि निकलि सकैत अछि।भ' सकैत अछि जे गामक भरि बज़ार अहां टहलि आबी आ क्यो ने अहा. के टोक़ॆ।

शनिवार, 5 सितंबर 2009

रहना नहि देश बिराना है

सुनू एक गामक कथा । जे हमर बड लग अछि ,मुदा हम ओकरा स' बड दूर छियै ? कियै ? ओकर किरदानी स'।भैयारी, सत्ते, उम्हर जाइक मोन नँइ करैये। आब एखन ओ गाम मे नीतीशजीक विकास योजना कि केंद्र सरकारक नरेगा आदिक चलती नै छै, ओइठाम एकटा एन।आर।आइ। जे चीन ,जापान कत्तौ स' अल्लमगल्लम पाइ कमा क' आयल अछि...आ उपर स' नीचा धरि, सबके चानीक जूता स' मारि क' सकदम क' देने अछि आ अपने दुनू_तीनू भाइ के जे मोन होइ छैक से केने घुरैये। पहिने अपन आस_बास लग बसल लोक के साम_दाम_दंड_भेद स' हंटेलक।एहन लोक के, ताहू मे लालूक राजमे, ब्लौकके खरीदति कते देरी लगितै ?आब ओ गामक सब पुरान मंदिर के तोडि नव मंदिर बना ओकरामे अपन बाप_दादा कि सात पुरुखाक नाम खोधबा लैत अछि। ऑगाम स' हजारों_हजार युवक अकुशल मजदूरक रूप मे रोज 'डिल्ली_पनिजाब' जा रहल अछि, आ बहुत कम मजदूरी पर काज करै लए विवश...हजार नहिं, लाखक लाख लोक अहि क्षेत्रक एहन अछि जकरा ने माथ पर छत नसीब छैक आ ने दुनू सांझ सु_अन्न ! लोक पढत त' विधर्मी कहत...मुदा तैयो क्यो कहे हमरा जे ओ गाम वासी सब के जीवित लोकक माथ पर छत हैब उचित नहि बुझाइत छनि ? हुनकर गाम स' बिहारीभुख्खड सब जानि कि कुशल, पौलीटेकनीक स' प्रमाणपत्र प्राप्त कुशल श्रमिक ? ओ त' अरबो देश जा क' नीक कमा स्कैत अछि ! मुदा ई के ककरा कहतै ? एत' किछु कहला पर हस्तक्षेप बूझल जेतै । तैं ओइ गाममे सबके सब किछु दैबला भगवान _भगवतीके एत्ते पैघ मन्दिर बनाक' बडकी टा घर देल जा रहलनि अछि। जाहि स' ओ कत्तौ आन ठाम नहि नहि जाथि,अही काजमे सब लागल अछि, अही काजमे चीन_जपान स' फिरल ओ एन.आर.आइ, लागल अछि...अही स' सब कमा_खा रहल अछि आ एक टा अनप्रोडक्टिभ काज के अत्यंत महत्वपूर्ण मानि कहिया स' ने ओहीमे लागल अछि। देखियौ कहिया तक ई मन्दिर निर्माण पूरा होइत छैक आ गाम ओइ स' उबरि पबैये।

मेरा गाँव.,मेरा देश्

ओ दिन बीत गेलै जहिया गाम('गाम माने__गाम नवहट्टा, थाना चर्राइन, परगन्ना कबखंड,
ज़िला_सहरसा पुराना भागलपुर !") जेबाक सोचिये क' उत्साहित भ' जाइ छलंहु। जखन कि गाम जायब अत्यंत कष्ट साध्य आ अर्थ साध्य काज छलै। पटना स' जायब त' साओन_भादव के उमडल नदिया, गंगा पार करू...रेल स' मानसी भेने कोपडिया आ बदला स्टेशनक बीच सात_आठ किलोमीटरक रोमैंटिक 'वाक'....फेर रेल...फेर सहरसा मे रेल बदलू...तकर बादक दस किलोमीटर...माने पंचगछिया स्टेशन स' नवहट्टाक पुनः (रोमैंटिक) पद_यात्रा ? रोमैंटिक त'
कत्तहु स' नंहि...स्थानाभावक कारणॆ ताहि दिन रोडे बाथरूमो छलैक किछु लोकक ! ओइ हेंकके मीलों तक झेलब...नीक कत्तौ लगै ? मुदा, जाइ _अबैमे तीन दिनुका ई कष्ट, असुविधा लोक, लोक स' भेंट क' क' भुलि जाइत रहै... हमहीं जाबे एत' पटने मे पढैत रही,परिवार नहि भेल रहै, सब तातील मे गाम जाइते टा रही...आब एत' पटना जंक्शन स' सात बजे भोर जँ इंटरसिटी स' लोक चलै त' एक बजे ओ सहरसा मे रहत आ तीन बजे साकेत में।गोया
कि चुनानचे ओकरा मोसकिलस' दस घंटा, हमरा सन सीनियर सिटिजन के मोस्किल स' सौ टा टाका खर्च हेतै...जे हमर वित्तक लोक अनायासे क' सकैत अछि...तैओ...गाम दिस हमर पैर कियैक ने उठैये। संभवतः स्नेहक जाहि सरोवर मे हम गाम जाइते जेनां बोहिया लगैत रही...से आब कत्त' पाबी...दैया कहाँ गये वो लोग....? तैं गाम जाइत नँइ नीक लगैत अछि। मुदा कहल गेलैये जे कनबाक मोन त' आंखिमे गडल काठी...साफ_साफ कहियौने जे एतुक्का ए.सी. इंटरनेट,डाक्टरी सुविधा गाम दिस डेग उठबै स' रोर्कैत अछि।गाँव आ शहरक खाधि पटलैये ? सुविधा के दृष्टियें बिहारक ज़िला मुख्यालयमे आ पटनामे बहुत अंतर छैक एखनंहु।

गुरुवार, 3 सितंबर 2009

हालाते हाजिरा

दू टा पोस्टिंग बी.एस.एन.एल. के भेंट चढि गेल.....रहै छै_रहै छै नेटक कनेक्शने गायब भ' जाइ छै। सब मना करैत रहय ।सभक रायक विरुध्ध हम बी.एस.एन.एल. कनेक्शन लेलंहु, आब भोगै छी।कैकटा पोस्टिंग मेटा गेल। शाश्वती कोसी क्षेत्र स' घुरली है आ बिहारक, एत्ते तक जे कोसी क्षेत्रक सेहो विकास देखार रूपे भ' रहल छैक एहन हुनका लगलनि।विकासक बयार हमरा एत्त' पटनोमे लागल अछि। भ' त' रहल छै विकास , मुदा भैये रहल छै ! कहिया स' भ' रहल छै आ कहिया तक हेतै...से के कहत। एखन तीन साल भेलनि अछि आ पटनोक सडक निर्माण ने पूरा भेलनि अछि। कहिया तक सडक बनि सकतनि; सेहो कहैबला क्यो ने अछि। स्वर्गीय जयप्रकाशनारायणक सब चेला 'लुम्पेन' , सब चेला फेंकैबला, अपने भ्रष्ट नहियों हुए, भ्रष्टाचारी सब स' घेडायल रहबे करत, जत्ते काज नहि करत ओकर दोबड हांकत। तैं शाश्वती के बेसी उत्फुल्ल नहि हेबाक चाहियनि। जे काज भ' रहल छैक से बिना पैसा खेने भ' रहल छैक, एकर पता एखन थोडे लगतै ? ओ त' नितीश जी के गेलाक बादे टेर लगतै । दोसर विकराल प्रश्न ई छै जे बिहारमे चलि रहल विकास कार्यक गुणवत्ता केहन छै ? इहो समये कहत, नँइ ?

बुधवार, 2 सितंबर 2009

ककर सक्क ?

एकरा कृपा छोडि आर किछु नहि कहल जेतै जे चातुर्मास्या बीत गेलै आ उत्तर बिहार बचल छै ? एक्के बेरिया चमत्कार हौ गुरूजी! ऐसनो होइ छै कभी_कभी!
आब हमरा गामक सुरता धेलक अछि। दशमीमे त' गाम मे नहि रहब... नहि सोचलंहु अछि जे कत' रहब। मुदा हम अपन नव हौबी, ऐ ब्लौग स', भ' सकैत अछि जे बहुत दिन तक दूर भ' जाइ। की कहू, अपन हारल आ बहुअक मारल लोक बजैत अछि? देश भक्तिक उदात्त भावना वश, हम छौ मास रुकलंहु, आ जखन बी.एस.एन.एल. अपन इंटरनेट वायरलेस सेवा शुरू केलकै त' पांच हज़ार खर्च क' ओकरे डाटा कार्ड लेलं। से की कहू,जाबे तक खोजा इमली मे सडकक कात मे रही त' इंटरनेट काज करैत रहल...आब कौखन क' क जाइत अछि। देश भक्तिक नीक फल भेटल।जखन की रिलायेंसक कनेक्शन सबतरि छै। गाम माने नौहट्टा जायब सजाय सन लगैत अछि। जत' धर्म,परोपकार,व्यवसाय, समाज सेवा आ सामाजिक शोषण एके संगे होइत हुए, जत' धर्म क' अपना के अमर बनेबाक वामनी_वृत्ति सब पर हाबी हुए...जत' लोकके अपन कोनो सोच नै हुए, मात्र लक्ष्मीपति भेल ताके; पात्र_कुपात्र के तकैये...पाइ डकैतिये स' कियैक ने अर्जल हुए...हमर ग्रामीण ओकर अंध अनुसरणकर्ता रहल अछि सदाय; तैं हमरा नौहट्टा जा क' दिन_राति लाउड स्पीकर सुनैत रहबाक कोनो इच्छा नहि अछि...अवश्ये, हमर पिता, बहुत गलत जगह के अपन घर मानि लेलनि। आब अ ताबेइमे ककर सक्क ?

मंगलवार, 1 सितंबर 2009

हालाते हाजिरा


जाहि वयसमे हम छी, ताहिमे कहां दन पहिलुका कोनो हिस्सक नँइ छूटै छै आ ने कम्प्यूटर आदि सन कोनो नव तकनीक सीखल होइ छै...ई दुनू बूढ लोकनिक कामचोरी छोडिआर किछु नँइ छियै। मोटा_मोटी चालीस वर्ष तक पान खेलाके बाद पछिला साल तमकि क' छोडि देलियै खायब। ठीके कहै छी, हमरा ने कोनो'विथड्राल सिंड्रौम' भेल आ ने हम दुखीते पडलंहु। मनुखक शरीर बहुत किछु सहै जोगर बनल छै...नीक_बेजाय,सर्द_गर्म मोन के अधिक तन के कम लगै छै। कम्प्यूटरो पर काज केनाइ कोनो युवा वर्गक बपौती नहि छियनि।
मुहल्ला डौट कौम मे शाश्वतीक आलेख ज' अपन मुख्य मंत्रीजी पढितथि...त' फूलि क' नगाडा भ' गेल रहितथि !
वर्षा भ' रहल छै...भ' रहल छै, आ सब साल जेकाँ अहू साल हमर मोन संभावित बाढि (कि प्रलय?) के सोचि भालरि भ' उठल अछि। की कोसी माइक नाटक अहू बेर हेतै...की अइ बेर बकसि देलनि हमरा सब के ? के कहे? ओकर चपेटमे त' जितिया धरि पडि सकैत छी...जे से । एखन त' एत' ओत' सबतरि सब सकुशल छैक, यैह कोन कम ?

सोमवार, 31 अगस्त 2009

अनुत्तरित कैक टा प्रश्न

काल्हि सुभाषक कथा संग्रहक गप करै छलंहु । किताबहमारा भेट गेल अछि, मुदा जिनका(भाइ राजमोहनजीके) समर्पित चानि हुनका नहि पहुंचल र हनि। हम सुभाषक समर्पॅण भाइ साहेब के पढि क' सुनलियनि। 'घरदेखिया'क मुख पृष्ठ बनेबाक चर्चा छै, मोन पाडि प्रसन्न भेला भाइ साहेब।
हाले मे शाश्वती कोसी क्षेत्र नौहट्टा स' फिरली है । आब नितीश कुमारक काज देखार भ' रहल छनि । मुदा, शहरक काज हुए कि गामक, काजक ने गति अछि आ ने ओकर गुणवत्ते। ओना शाश्वतीक रिपोर्टिंग नीक लागल। ओहू स' नीक हुनकर खींचल कोसी क्षेत्रक फोटो लागल । पता नँइ कोसीक मारल, झमारल लोकक कोन गति हेतै...के सुधि लेतै ? की हमरा लोकनि सब साल अहिना अनिश्चिततामे, तोपक मुहाना पर भरि बरसात बैसल रहबै ? के कहत?
आ कि यैह, जे एत्ते_एत्ते लाखों_करोडों के खर्चमे क्यो माल नहि बनौने हेतै ! ई सब त' नेताक हंटलाक बाद ने पता चलै छै ? एखन ई के कहत ?

रविवार, 30 अगस्त 2009

काल्हि सुभाषक लघुकथा संग्रह 'बनैत_बिगडैत'के चर्र्चा भेल रहै। भाइ साहेब( राजमोहनझा) स' पट्ना मे भेल'सगर राति दीप जरय' आ राज़कमल पुण्य़ तिथि पर भेल आयोजनक गप भेलै । कोना मरलाक बाद कोनो लेखक के जेना मोन होइ छै लोक मनोनुकूल आ समयानुकूल ढारि क' लोक पेश क' दैत छैक । नँइ त' राजकमल आमार्क्स् वाद...? राज्नीति हुनकर प्रिय विषय नँइ छलनि। ज्नता हुनकर विचारे भीड होइत छैक, जकर ने कोनो विचार होइ छै आने कोनो व्यक्तित्वे।

शुक्रवार, 28 अगस्त 2009

स्वागतम्, सु स्वागतम्

अपनेक स्वागत करैत हमरा अपार हर्ष भ' रहल अछि, आ एक तरह स' हम अपने सब पाठक_पाठिका के अपन वर्तमानमे ताक_झांक करबाक हकार द' रहल छी। आउ, अहि ब्लौगक माध्यम स' किछु अप्पन आकिछु आनक गप्प कैल जाय। जनिते छी जे मैथिल आ बूढ गप्प करै लए छछनल रहैत अछि, हम दुनू छी। मुदा ध्यान देबै, 'वादे_वादे जायते तत्व बोधः' सेहो कहल गेलैये। कहल गेलैक अछि जे __जँ केलेके पात पात मे पात,त्यों संतन के बात बात मे बात।'से गप हरदम गपे नँइ होइ छै । गप्पे गप मे अत्यंत सार्थक निष्कर्ष सेहो निकलै छैक आ भयावह स' भयावह घटनाक सूत्रपात सेहो होइत छैक। हमर इच्छा अछि जे अही बहाने हम अपन इष्ट_मित्र कि पठक लोकनि के अपन बात कहि सकियनि आ जँ संभव हुए त हुनकर प्रतिक्रियो जानि सकी। ई बात कथा लिखि क' नहि भ' सकैत अछि। किछु जँ नव लिखब कि करब; तकर सूचना त' देबे करबजे आनो जँ कोनो महत्वपूर्ण काज जँ कत्तौ हेतै त' अवश्ये से हमर चर्चाक विषय हेबे करत। साहित्य आ कला जगतक हलचल किंबा राजनीतिक बिपटइ जँ कत्तौ हेतै त' हमरा कोना क'ल पडत ? ओकर चटकार ल' क' चर्चा करब आ अपनंहु स' ओइ मादे अहांक विचार जनैक प्रयास करब। श्री गजेन्द्र ठाक़ुर ज़ॆ विदेह ई मैगज़िन बहार करै छथि से हमर प्रिय मित्र आ अनुजवत लेखक भाइ सुभाषचन्द्र यादवक लघुकथा संग्रह 'बनैत बिगडैत' प्रकाशित करबा बडका काज केलनि अछि।