सोमवार, 18 अक्तूबर 2010

....डाला डूली घर करू....

राष्ट्र मंडल खेलक समापनक बाद ओहिना लागि रहल छै जेना बेटिक बियाह्क बाद लगै छै। ओहेने गप्पो सुरू भ' गेलैये । जेना---"बरियातीके एक टा मधुर नंहिये परसल गेलै...तेना ओलवा-दोलवा उठा दै जाइ छथिन
जे ककरो कोनो होश रहै छै ?" तहिना आरोप आ प्रत्यारोपक दौर चलि रहलैये । सत्तरि हजार करोड रुपया कोनो कम नंइ होइ
छै। एत्ते मे त' कैक टा कल्याणकारी योजना के कैल जा सकै छलै । राष्ट्र मंडल खेल क' क' बांहि पुजेला स' की भेटल ? कोन तमगा ? यैह जे हमरा लोकनि अंग्रेजक सबल ग़ुलाम छी ? एखनो गोरका मुंहबला बानर के बनर नकल करैमे हमरा लोकनि गौर्वान्वित अनुभव करिते छी ! ई हमरा लोकनि के जीन्स मे मिझ्झड भ' गेल अछि । अंग्रेजक कि पश्चिमी देश जेना
करत, हमरो लोकनि ठीक ओहिना करब । जखन ग़ुलाम रही तखनि त'अंग्रेजे जेकां मुंह टेढ क' क' हिंदी नामक उच्चारणो करैत रही । फलस्वरूप, राम भ' गेला रामा---आ कृष्ण भ' गेला कृष्णा । अंग्रेज गेल। तकरो साठि साल भेलै । एत्ते दिन मे त' सब चेत जाति अछि---हमरा सब कियै अंग्रेजक दाढी कुडियेबा लेल एना धत-धत करैत रहै छी ?

रविवार, 17 अक्तूबर 2010

विजयादशमी आ हमर कामना !

आइ अपन ब्लौग पढैबला जे दू-चारि गोटे छथि तिनका प्रणाम, आशीर्वाद, नमस्कार आ मंगल
कामना !
आजुक दिन बाबाक ई पांती " यश-अपयश हो,लाभ-हानि हो सुख हो अथवा शोक,
सभ सँ' पहिने मोन पड इछ, अपने भूमिक लोक ॥"आइ ई दू पांती बेर-बेर मोन पडि रहल अछि। ओना मोन त' ओहो पडि रहला अछि । रौद मे खक्सियाह भेल मुंहक त्वचा पर दू टा भाला कि दू टा ज्वाला सन दिपदिपाइत आंखि देने अहांक अंतर्मन तक के वेध दै बला किरण जी ! कहलखिन---"किंतु मैथिली का तो केवल मैं ही एक मात्र आधार : मेरे बल पर ही अब तक है इसमे जीवन का संचार ।" ओ त' असकरो भारी पडलखिन....हमरा सब त' छी दस समांग । आ सुकुर अछि जे आब हमरा सबहक संग टेक्नोलौजी अछि, जे बड पावरफुल अछि । तैं " कामना--शुभ कामना ! "

हाथी एला...हाथी एला...

इंडिया...लैंड औफ राजाह,साधू,सर्पेंट एंड रोप ट्रिक. अइ ठाम हमरे अधलाह नंइ लगिते त'गोरका मुंहबला बानर ले विखिन्न सनक गारि लिखितियै। एक त' हमरा सब हिंदुस्तानीक दुर्भाग्य जे एखनंहु विलायतक राज मे बसैबला देश सब लेल आयोजित राष्ट्रमंडल खेल आयोजित करै लेल उताहुल रहै छी । तै लेल सात हजार करोड रुपैया(इंग्लैंडक द' क्वीन के त' खजाना मे एते हेतनि कि नंइ तहू मे संदेहे)खर्च करू आ तकर बाद न्यूजीलैंड की ईंग्लैंड सनकपिद्दी देश जे खेलाडी के होस्टेल मे कि गोदाम मे ठहरबैत आयल अछि; तकर उलहनो सहू? की त' खेल-गांव रह' योग्य नंइ अछि । आइ 17 अक्टूबर छियै...जे खेलाडी दिल्ली आयल रहे से गेल । आलीशान खेल गांव मे ठाठ स' रहल...नौ-छौ खेलक...अंतराष्ट्रीय
स्तरक ट्रेनिंग आ प्रैक्टिस के सब सरंजाम रहै...जमि क' खेलेलक...जीतल--हारल...नव-नव हीरो बनल...वर्षक हीरो जीरो बनल...हरे-हरे क'क'अपन देश जाइ गेल । ने ककरो सांप कटलकै...ने ककरो कुकूर। ने ककरो डेंगू भेलै ने पाकिस्तानी आतंकवादी सब बुते किछु कैल भेलै । मार्क फनेल कि अपराधीक देश अष्ट्रेलिया, कि टुट्पुंजिया देश ब्रिटेन के
अपन मुंह सम्हारि क' बजबाक चाही। अंग्रेज घरानि एखनंहु एत' अबैये आ अपन राजक खुमारी मे डूबि जाइत अछि...से कोनो नीक बात नंइ छियै। कोनो रानी कि राजा के भारतक राष्ट्र्पतिक सामने किछु करबाक कोनो अधिकार नंइ छनि...क्वीन औफ इंग्लैंडक कोन कथा हुनकर बापो के नंइ !

शुक्रवार, 15 अक्तूबर 2010

अही लेल छलंहु हताश....?

शीर्षक के अगिला लाइन छै "त' हैये आबि गेल प्रकाश"। आब ई पांती के लेखक नाम नंइ पूछि बैसब । हुनकर नाम मैथिली साहित्य मे अति प्रसिध्ध,अति चर्चित आ अंत मे अति उपेक्षित रवींद्रनाथ ठाकुर छनि । आइ मैथिली के आठम अनुसूची मे सम्मिलित भेला स' बहुतो गोटा तर-माल चाभि रहला अछि...मुदा मैथिलीक ई सम्मान लए जँ' हम स्व.किरण-मधुप-सुमन के आ अइ सबहक आंखों-देखा-हाल कह्निहार अमरजी के स्मरण करै छी त' ओत्तहि रवींद्र-महेंद्र के सेहो स्मरण करहि टा पडत। महेंद्र त'अपन मैथिली सेवाक बिना
कोनो चर्च के अइ असार संसारके त्यागि चल जाइत रहला...रवींद्र भाइ छथि....अहां जँ' पूछब कत' छथि ? त' हम कहब जे दिल्ली मे। आब ई नंइ पूछि बैसब जे कोना छथि ? हुनका सं' भेंट भेना कैक दशक भेल । हय रे जयदेव बाबू ! रहितथि त' बगल मे बैसल लोकक कानमे कहने रहितथिन...." साकेतानंदो मूल रूप स' पुरैनियें के ने ....? मुदा बाबू दम छैक.... रवींद्रभाइक कैक टा अभूतपूर्व रचना छै, जकरा दरभंगा-पूर्णियाँक त्वंचाहंच सं' तोपल नंइ जा सकैत अछि। यैह त' छियै अक्षरक कमाल...साहित्यक जादू! आई ने गोलैसी..षड्यंत्र..ओझरी आदि-इत्यादि क' क' अहां दबा देबै...मुदा जं'रचना मे दम रहतै त' कत्ते दिन दबेबै आगि के?

रविवार, 10 अक्तूबर 2010

एतेक रास बात--- कतेक रास बात !

टेक्नोलौजी अहांके पंगु बना देत,अहां के भंगठिक'तेना काटि देत जे अहां बुझबो ने करबै आ अहाँक कतल भ' गेल रहत । आब यैह देखियौ जे मसावधि भेलै, तखन जा क' इंटर-नेट व्यवस्थित भ' सकल आ हमरा लोकनि मे फेर गप संभव भ' सकल। इंटर-नेटक दुनियाँ मे एक तरहक नंइ, नाना प्रकारक भ्रष्टाचार छैक, अफसर,उद्योगपतिक तेहन दुरभि--संधि छैक--जे अहांक नाकक नीचा देने दही बंटाइत रहत आ अहां के पता तक नंइ!मुदा ब्लौग लिखै लएत' इंटरनेटा त' चाही ? जे से...अइ बीच मे भेलै त' से सब जे लिख लागब त'उपन्यास लिख' पडत । लिखलखिन अमर जी जे..."विष्ठी लए दंतखिष्ठी जकरा--जोडा बडद द्वार पर तकरा...।" से खेल सुरुओ ने भेल रहै. खेलाडी सब आएलो ने छलै कि दुनियाँक मीडियाके दिल्लीक खेल गांव मे सांप-बिछ्छू भेट' लगलै, सब देश' खास क' भारतक असली दुश्मन इंगलैंड्क मुख्य भंसीया चिचियेलै भारत बुते राष्ट्रमंडल खेल आयोजित कैलनंइ हेतै...अष्ट्रेलिया आ दांत मे फंसल सुपारी बरोबरि देश न्यूजीलैंडोके एत' असोकर्ज हेबाक संभावना बुझेलै । अपने भले कोनो होस्टल कि कोनो गोदाम मे खेलाडी कियैक ने ठहरेने हुए...मैंचेस्टर मे की भेलै से लोक बिसरलैये ? बिसरैक बात छैक ?...से आइ आठम दिन चियै... इंग्लैड कि औष्ट्रेलिया...कहां ककरो चौ अलगलै...कहां किछु भेलै...आइ त' आठ दिन भेलै कहां ककरो सांप डंसलकै कि कहां कक्रो दें&गु भेलै ।अंतराष्ट्रीय बिरादरी, तहूमे गोरका चमडी बला के अपन देश के मोजर दै मे बड अधलाह लगै चई..खास क' अगंरेजक घराइनक जुना त' जरि गेल छै...भारतक सामने औकाति त' छै नंइ...रहि गेल छै बस अ‍ॅईंतःई ।





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