मंगलवार, 17 नवंबर 2009

वैदिकी हिंसा__हिंसा न भवति

हिन्दू धार्मिक कर्मकांड प्रतीक स' भरल छैक। ओना त' मूर्ति, अपना आप मे एक महान प्रतीक के अलावा आर की छियै ? धर्मक नाम पर जत्ते आ जेहन_जेहन अत्याचार भेलैये, ओत्ते त' राजनीति कि युध्धो स'
नंइ भेलैये। पूजा कि आराधनक अंतर्गत बलिदानक नग्न रूप आब हिन्दू कि इस्लामे टा मे बंचल छै। अपना मिथिला
मे जैं कि अधिक हिन्दू शाक्त छथि, तैं 'जोडा छागर' कबुलबाक हिस्सक कने बेसिये छैक। शारदीय नवरात्रा मे छाग मुंडक ढेर, पूजाक अवश्यम् आ आम दृष्य अछि। गाम गेल रही (गाम माने _"गाम नवहट्टा,परगन्ने कबखंड, थाना चर्राइन, जिला सहरसा पुराना भागलपुर) त' एकटा छोट सनक 'पाम कैम' स' ई दृष्य़ क़ॆ लेलंहु आ बेर्_बेर एकरा देख क' भेल जे ई हिंसाक कोनो विकल्प नंहि छै की ? धार्मिक कर्मकांड मे हिंसाके स्थान द' क' की हमरा सब हिंसा के महिमामंडित नंइ करैत आबि रहल छियै ? आजुक हिंसा, असहिष्णुता आ बेपीर जीवन मे हिंसाक एहन महिमामंडन करब कि आबो उचित छैक ? आइ ने काल्हि__विकल्प त' तकबेक हेतै । सेजत्ते जल्दी हुए, कोनो एहन बाट ताकब जरूरी छै जाहि स' धार्मिक कर्मकांड मे खलल नंइ होइ आ हिंसो रुकै।

3 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
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  2. ----चुटकी----

    चीन पंच

    ओबामा सरपंच,

    भारत के खिलाफ

    शुरू हो गया

    नया प्रपंच।

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  3. हौ किछु बुझै छियै, किछु सुझै छियै/ हमहूँ भरि दिन बैसल_बैसल, अखबारे टा के धुनैछियै।

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