रविवार, 18 अक्तूबर 2009

"रेलीजियस ब्लैक्मेल"

बुझले हैत, सब नवहटिया जकाँ हमहूं ओत्तै रही जकरा लोक नवहट्टा कहै छैक! बीस बाइस दिनुका नम्हर स्टे मे कहियो पुरनका उत्सवक रौनक लगैत...पूजाक ओ पुरना खुनकी कत्तौ हवा_वसात मे बुझाइत...कत्तहु किछु नहि । ओकर लसि नहि भेटत जे हमरा सबके कहियो बिना मोलेक भेटैत रहैत छल...पूजा मे पैघक आशीर्वाद,सिनेह आ दुलार, मोनक उछाह_उद्गार, बाल_बोधक प्यार_दुलार !आब, अहि गाममे भक्ति बिकाइ छैक ! पूजा जेना पहिने कोनो ज़मिन्दार की राजाक ज़मानामे एक गोटेक मोने होइ छलै तहिना अइ बेर एकटा एन.आर।आइ अपन जेबी स' पूजा केलक।अहि मे चाहे एकशताब्दी स' चलल आबि रहळ पद्धतिक हनन होइत हो कि कैक दशक स' चलल आबि रहल ओकर सार्वजनिक रूप समाप्त भ' गेल हुए। सर्व प्रथम त' हर नवहटिया ई पुछ' चाहैछनि जे राज बनैली कि राज श्रीनगरक अक्षुण्ण कृति पर कोन अधिकार स' ओ अपन पिताक नाम लिखवा रहला अछि ? विगत दू वर्ष मे अन्दाजन करोडॉ रुपैयाओ खर्च केलनि अछि ? एत्ते ओ कोन पैसा खर्च क' रहला अछि एक नम्बरक ? कि एक नम्बरक पाइ अहिना खर्च कैल जाइ छै? कि नवहट्टा मे मन्दिर बनै स' पहिने नवहटिया सबके अराजकता आ हिंसा सह' पडतैक ? कि मन्दिर बनेबाक यैह रास्ता ओ लक्ष्मी पुत्रके सुझेलनि जे ओहो लोकने चिन्हाइ छनि जे जगत विदित अछि ? सत्ते, अधिक पाइ भेने सोच_विचार_उचित_अनुचित सब किछु बिसरि जाइ छैक। मुदा जँ ओ मन्दिर बनि जाई त' सत्ते अक्षरधामक नकल हेतै ! चौंकियौ नंइ बाबू, नवहट्टा छियै...जे हेतै से_ राज श्रीनगरक छै राज श्रीनगरक छलै जे वस देखिये देखन जोगू.....से चाहे मारिये कियै ने हुए....ओना लक्ष्मीपुत्रक सौ गुनाह माफ....पहिने मन्दिर त' बनए। हं अहि बीच नवहटिया चालिमे फंसि कं दू_चारि चमचा सबहक दुश्मनीक बदला सधबै मे जँ लक्ष्मीपुत्रक अहिना 'इस्तेमाल' भ' जानि त' कोन आश्चर्य ? ओना मन्दिर बनबै स' पहिने बापक साइनबोर्ड टाँगब कोनो नीक बात भेलै ? हम पुछै छी ? आ छोट_छोट छौंडाके फरमाबरदार बनबअले लाखों रुपैया कि मोटर साइकिल द' देब...ओकरा गुंडैक ट्रेनिंग देब...कोनो नीक बात भेलै...मन्दिर बनायब कीर्ति करब थिकै...कीर्ति यज्ञ स' होइ छैक जाहि स' लोकक मोन स' यज्ञ कर्ता लए आशीर्वाद हार्दिक आशीर्वाद निकलै छै तखन ओ सफल मानल जाइ छैक। जाहि यज्ञ मे झगडा आ मोकदमा भेल ओ त' शूरू होइ स' पहिने असफल यज्ञ अछि । तैं __अष्टादशपुराणेषू व्यासश्य वचनद्वयम/ परोपकाराय पुण्याय पापाय परपीरणम्॥

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