रविवार, 17 अक्तूबर 2010

विजयादशमी आ हमर कामना !

आइ अपन ब्लौग पढैबला जे दू-चारि गोटे छथि तिनका प्रणाम, आशीर्वाद, नमस्कार आ मंगल
कामना !
आजुक दिन बाबाक ई पांती " यश-अपयश हो,लाभ-हानि हो सुख हो अथवा शोक,
सभ सँ' पहिने मोन पड इछ, अपने भूमिक लोक ॥"आइ ई दू पांती बेर-बेर मोन पडि रहल अछि। ओना मोन त' ओहो पडि रहला अछि । रौद मे खक्सियाह भेल मुंहक त्वचा पर दू टा भाला कि दू टा ज्वाला सन दिपदिपाइत आंखि देने अहांक अंतर्मन तक के वेध दै बला किरण जी ! कहलखिन---"किंतु मैथिली का तो केवल मैं ही एक मात्र आधार : मेरे बल पर ही अब तक है इसमे जीवन का संचार ।" ओ त' असकरो भारी पडलखिन....हमरा सब त' छी दस समांग । आ सुकुर अछि जे आब हमरा सबहक संग टेक्नोलौजी अछि, जे बड पावरफुल अछि । तैं " कामना--शुभ कामना ! "

2 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद्. आप सब को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीकात्मक त्योहार दशहरा की शुभकामनाएं. आज आवश्यकता है , आम इंसान को ज्ञान की, जिस से वो; झाड़-फूँक, जादू टोना ,तंत्र-मंत्र, और भूतप्रेत जैसे अन्धविश्वास से भी बाहर आ सके. तभी बुराई पे अच्छाई की विजय संभव है.

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  2. विजय-दशमी पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

    सादर

    समीर लाल

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