शनिवार, 23 जनवरी 2010

पुनः प्रयास

कोनो विद्वानक कथन मोन पडैत अछि, मनुक्ख अपना सुख लए जत्ते वस्तुक निर्माण केलक ओइ स' अधिकतर ओकरा दुःखे भेलैये, सुख कमे। हमर इंटरनेटो अहिना अछि। जहिया स' राजस्थान स' घुरलंहु
ई चारिम बेर ब्लौग लिखि रहल छी। सब बेर लाइन दगा दैत अछि, ब्लौग आधे पर रहि जाइत अछि। पता नहि, अहू बेर पोस्ट हैत कि नंहि। तैं सब के हेलो ! कहैलए ई पोस्टिंग़

1 टिप्पणी:

  1. निक लागल। कतैक दिन सं एत हुल्की मार रहों मुदा नव पोस्ट नै भेटे रहे। आशा अछि कि राजस्थान यात्रा अहांक बढिया रहल हैत। पहिले वर्ड पर लिखेक बाद क्या न पोस्ट करे छिए। बिजली और इंटरनेट कनेक्शन क आंख-मिचौनी से राहत भेटत।

    आशा अछि कि नबका पोस्ट जल्दी पढै लेल भेटत।
    शुक्रिया
    गिरीन्द्र

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