सोमवार, 9 अगस्त 2010

" किछु नंइ-- कहां किछु !"

नंइ, किछु नंई । कहां किछु ? कत्तौ किछु होइत होइ से कहाँ बुझना जाइत अछि । सब किछु
चर्वित-च्रर्वण सन लगैत अछि । ककरा कहबै...के पतियैत....अहांक हाथ साहित्य रचैत-रचैत पं.गोविंद झाक हाथ
कियैक ने बनल जाइत हो....जत'पद...पाइ...आ प्रतिष्ठा के सवाल हेतै त' वैह....विभुती नारायण सिंह सनक
लोक भैंस चांस्लरो (वाइस चांसलर )बनल रहत--- भले सब महिला लेखिका के खुले आम " छिनारि" कियै ने कहथुन
हमरा त'इहो आश्चर्य होइये जे "सिंह साहेब" अपन लेखिका पत्नी के की बुझै छथिन...वैह...छिनारि ?
इम्हर अल्पसंख्यक (कियैक मुसलमान कहियै !) वोटक राजनीति मे बंग्ला लेखिका तस्लीमा नसरीन के पूबक प्रसिध्ध देश
'भारत दैट इज इंडिया' सब धर्म निरपेक्षता घोसडि गेल सन लगैत अछि । कारण मात्र एकटा--आधुनिक शिक्षा मे पढल-
गुनल लोक कोनो धर्मक संकीर्णताक विरोध त' करबे करतै ? इस्लामी कट्टरपंथी के की चाही । तस्लीमा नंइ, डा.तस्लीमा
दर-दर के ठोकर खा रहल छथि, आ बुध्धिजीवी, खासक' बंगालक ओ जुझारू बुध्धिजीवि ब्राजीलक मुद्दा त' उठा सकैत
छथि...एत' त' मामले दोसर छै । धुर मर्दे! अहू सबमे क्यो पडय ? नंदीग्राम की पूरा जंगळ महाल मे की भ' रहल छैक क्यो कहिसकै अछि ? ममता, बुध्धदेब,की के ? तैं किछु नंइ...कहां किछु !

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें