रविवार, 14 फ़रवरी 2010

सिधमूंहां केमुंह....?

बहुत दिन भ' गेल रहै। पाकिस्तानी आतंकवादी लए ई असह्य रहै। ई लोकनि चारि टा बडका देश भक्तक नांगडिलोकनि जे टाइम्स ग्रुप मे काज करै छथि आ अपनाके स स' पैघ काबिल बुझै छथि से " अमन की आशा " चिचियेनाइ शुरुए केने रहथि। प्रायः टाइम्स ग्रुप के नाड_पुडैन
अमेरिके मे गाडल रहै छै, भ' सकैत अछि तौं चिकडल हुए। मुदा मास दिन स' नीक अखबारबाज़ी भेल, फेर बच्चनजीक "मधुशाला" के हुनकर महानपुत्र सस्वर गाबि ई कहखिन जे मन्दिर_मस्जिद त' दुश्मनी
करबै छै, मेल त' मधुशाले मे होइ छै, ओइ दिस स' महानकलाकार इंतजार हुसैन छला जे फैज़ के नज़्म "ये दाग़__दाग़ उजाला" सुना क' ई बता रहल छला जे शांति के आशा नहि छोडबाक चाही....की काल्हि
सांझ पूनाक जर्मन बेकरी मे पाकिस्तानक लश्कर धमाका क' क' जना देलक जे ओकर मंशा की छै ? जाबे तक सांपक मुंह के नीक जेकाँ थूरल नहि जेतै अमन के आशा जखने करब ओ ब्लास्ट क'क' बता देत जे ओकरा की चाही ?

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