सोमवार, 18 अक्टूबर 2010
....डाला डूली घर करू....
जे ककरो कोनो होश रहै छै ?" तहिना आरोप आ प्रत्यारोपक दौर चलि रहलैये । सत्तरि हजार करोड रुपया कोनो कम नंइ होइ
छै। एत्ते मे त' कैक टा कल्याणकारी योजना के कैल जा सकै छलै । राष्ट्र मंडल खेल क' क' बांहि पुजेला स' की भेटल ? कोन तमगा ? यैह जे हमरा लोकनि अंग्रेजक सबल ग़ुलाम छी ? एखनो गोरका मुंहबला बानर के बनर नकल करैमे हमरा लोकनि गौर्वान्वित अनुभव करिते छी ! ई हमरा लोकनि के जीन्स मे मिझ्झड भ' गेल अछि । अंग्रेजक कि पश्चिमी देश जेना
करत, हमरो लोकनि ठीक ओहिना करब । जखन ग़ुलाम रही तखनि त'अंग्रेजे जेकां मुंह टेढ क' क' हिंदी नामक उच्चारणो करैत रही । फलस्वरूप, राम भ' गेला रामा---आ कृष्ण भ' गेला कृष्णा । अंग्रेज गेल। तकरो साठि साल भेलै । एत्ते दिन मे त' सब चेत जाति अछि---हमरा सब कियै अंग्रेजक दाढी कुडियेबा लेल एना धत-धत करैत रहै छी ?
रविवार, 17 अक्टूबर 2010
विजयादशमी आ हमर कामना !
कामना !
आजुक दिन बाबाक ई पांती " यश-अपयश हो,लाभ-हानि हो सुख हो अथवा शोक,
सभ सँ' पहिने मोन पड इछ, अपने भूमिक लोक ॥"आइ ई दू पांती बेर-बेर मोन पडि रहल अछि। ओना मोन त' ओहो पडि रहला अछि । रौद मे खक्सियाह भेल मुंहक त्वचा पर दू टा भाला कि दू टा ज्वाला सन दिपदिपाइत आंखि देने अहांक अंतर्मन तक के वेध दै बला किरण जी ! कहलखिन---"किंतु मैथिली का तो केवल मैं ही एक मात्र आधार : मेरे बल पर ही अब तक है इसमे जीवन का संचार ।" ओ त' असकरो भारी पडलखिन....हमरा सब त' छी दस समांग । आ सुकुर अछि जे आब हमरा सबहक संग टेक्नोलौजी अछि, जे बड पावरफुल अछि । तैं " कामना--शुभ कामना ! "
हाथी एला...हाथी एला...
स्तरक ट्रेनिंग आ प्रैक्टिस के सब सरंजाम रहै...जमि क' खेलेलक...जीतल--हारल...नव-नव हीरो बनल...वर्षक हीरो जीरो बनल...हरे-हरे क'क'अपन देश जाइ गेल । ने ककरो सांप कटलकै...ने ककरो कुकूर। ने ककरो डेंगू भेलै ने पाकिस्तानी आतंकवादी सब बुते किछु कैल भेलै । मार्क फनेल कि अपराधीक देश अष्ट्रेलिया, कि टुट्पुंजिया देश ब्रिटेन के
अपन मुंह सम्हारि क' बजबाक चाही। अंग्रेज घरानि एखनंहु एत' अबैये आ अपन राजक खुमारी मे डूबि जाइत अछि...से कोनो नीक बात नंइ छियै। कोनो रानी कि राजा के भारतक राष्ट्र्पतिक सामने किछु करबाक कोनो अधिकार नंइ छनि...क्वीन औफ इंग्लैंडक कोन कथा हुनकर बापो के नंइ !
शुक्रवार, 15 अक्टूबर 2010
अही लेल छलंहु हताश....?
कोनो चर्च के अइ असार संसारके त्यागि चल जाइत रहला...रवींद्र भाइ छथि....अहां जँ' पूछब कत' छथि ? त' हम कहब जे दिल्ली मे। आब ई नंइ पूछि बैसब जे कोना छथि ? हुनका सं' भेंट भेना कैक दशक भेल । हय रे जयदेव बाबू ! रहितथि त' बगल मे बैसल लोकक कानमे कहने रहितथिन...." साकेतानंदो मूल रूप स' पुरैनियें के ने ....? मुदा बाबू दम छैक.... रवींद्रभाइक कैक टा अभूतपूर्व रचना छै, जकरा दरभंगा-पूर्णियाँक त्वंचाहंच सं' तोपल नंइ जा सकैत अछि। यैह त' छियै अक्षरक कमाल...साहित्यक जादू! आई ने गोलैसी..षड्यंत्र..ओझरी आदि-इत्यादि क' क' अहां दबा देबै...मुदा जं'रचना मे दम रहतै त' कत्ते दिन दबेबै आगि के?
रविवार, 10 अक्टूबर 2010
एतेक रास बात--- कतेक रास बात !
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6
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सोमवार, 16 अगस्त 2010
आम जन
ग्लोबल वार्मिंग अथवा प्रकृतिक संग भेल अत्याचारक कारणें किछु तेहन प्राकृतिक आपदा सब आबि रहल छै जे अहि पर कोनो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विचारक तत्काल जरूरति छै । ओना टेढी मे पाकिस्तानक जबाब नंइ छै, मुदा एखन सब किछ
बिसरि क' भारत के पडोसियाक धर्म निभेवाक चाही--आ पाकिस्तानक बाढि पीडित जनता के काहत मे राहतक वस्तु जात ल' क' ठाढ हेबाक चाही । मुदा एत' एकटा फ्यौ छै । पाकिस्तान सरकार अंतर राष्ट्रीय समुदाय के पछिला दिन आयल भूकंपक समय तेना ठकने छै जे क्यो हठें सहायता दइ लए तैयार नंइ होइ छै । फेर ककरा देतै ? सरकार के,
पार्टी के कि सेना के... आ कि लश्कर,हूजी सन छद्म संगठन के ? फेर अहि 'इम्दाद'के पाकिस्तानी सबहक मुख्य
"टाइम-पास" भारतक संग लडाइक तैयारी मे नंइ लगा लेतै तेकर की गारंटी ?पाकिस्तानी सरकार आ अंतृराष्ट्रीय
बिरादरीक उपेक्षा मे मरि रहल छै पाकिस्तानक आम-जन । अइ 'मेस' के लाभ पाकिस्तान मे सरकारी सह पाबि क'
फल-फूलि रहल आतंकवादी संगठन सब उठा रहल हुए त' कोन आश्चर्य ! हमरा त' लगैत अछि जे पाकिस्तानक
लोको के यह मार-काट,उठा-पटक चाही । तैं ने जरदारी सनक लोक सत्ताक शीर्ष पर बैसल छै !
सोमवार, 9 अगस्त 2010
" किछु नंइ-- कहां किछु !"
चर्वित-च्रर्वण सन लगैत अछि । ककरा कहबै...के पतियैत....अहांक हाथ साहित्य रचैत-रचैत पं.गोविंद झाक हाथ
कियैक ने बनल जाइत हो....जत'पद...पाइ...आ प्रतिष्ठा के सवाल हेतै त' वैह....विभुती नारायण सिंह सनक
लोक भैंस चांस्लरो (वाइस चांसलर )बनल रहत--- भले सब महिला लेखिका के खुले आम " छिनारि" कियै ने कहथुन
हमरा त'इहो आश्चर्य होइये जे "सिंह साहेब" अपन लेखिका पत्नी के की बुझै छथिन...वैह...छिनारि ?
इम्हर अल्पसंख्यक (कियैक मुसलमान कहियै !) वोटक राजनीति मे बंग्ला लेखिका तस्लीमा नसरीन के पूबक प्रसिध्ध देश
'भारत दैट इज इंडिया' सब धर्म निरपेक्षता घोसडि गेल सन लगैत अछि । कारण मात्र एकटा--आधुनिक शिक्षा मे पढल-
गुनल लोक कोनो धर्मक संकीर्णताक विरोध त' करबे करतै ? इस्लामी कट्टरपंथी के की चाही । तस्लीमा नंइ, डा.तस्लीमा
दर-दर के ठोकर खा रहल छथि, आ बुध्धिजीवी, खासक' बंगालक ओ जुझारू बुध्धिजीवि ब्राजीलक मुद्दा त' उठा सकैत
छथि...एत' त' मामले दोसर छै । धुर मर्दे! अहू सबमे क्यो पडय ? नंदीग्राम की पूरा जंगळ महाल मे की भ' रहल छैक क्यो कहिसकै अछि ? ममता, बुध्धदेब,की के ? तैं किछु नंइ...कहां किछु !
मंगलवार, 6 जुलाई 2010
आऊ, पाकिस्तान-पाकिस्तान खेलाइ !
जेहन द' सकैत अछि से हिटलरक प्रसिध्ध प्रसार मंत्री गोएबल्सो ने द' सकै छला ,ओहो लजा जैतथि । सब जनै छै जे जमात-उ-दावा लश्करक मुखडा छियै, जकरा सब साल पाकिस्तान सरकार लाखों नंइ करोडों टाका दैछै । ई संस्था नाम कर्म क' क' पछिला बीसो साल स'ओ अमेरिका आ भारत मे अनवरत आतंकवादी पठ्बैत रहल अछि। खाइ लए नंइ छैक; तेन किम ? अणु बम बनबैक
क्षमता छैक, चीन आ कोरियाक कृपा स' अणु बमक नीक भंडार छैक । भारतक कोनो शहरके मारि सकै बला मिसाइल । एतबे
नंइ ओकरा चलेबाक दुस्साहसो छैक...भलें तकर बाद देश जर्मनी जेकां मलबा कियैक ने बनि जाय । पाकिस्तान मे भारतो स' सस्ता मनुख्खक मोल छैक । अपने आत्म्घाती दस्ता बनेबाक बाकायदा ट्रेनिंग दियेलकै, आब वैह सब अपनो देश मे दोसर विचार धाराक लोक के मारै छै त' कोन बेजाय करै छै ? आब मियाँक जूती--मियेंक सर !
बुधवार, 26 मई 2010
बुधवार, 19 मई 2010
किछु अकारण नंइ !
चलै छनि । अहि युग मे दर्शनक आन जे कोनो पक्ष स्पष्ट नंइ हुए, मुदा 'कार्य्-कारण सिध्धांत' धरि एक दम स्पष्ट छैक इस हाथ ले, उस हाथ दे ! बड़-बड जनके भांसल जाइत देखने छियनि। हामर माथ मे माया चक्कर काटि रहल अछि। मनुषयक बनाओल पैसा, हमरा सबहक मनःस्थिति के कोना प्रभावित करैछ ? ओकरा में कोन गुण छैक ? यैह ने जे ओ किछु सुविधाकीन सकैत अछि...ओहो सब नंइ, मात्र किछु ? देख' हौ महादेव, तखन कियैक भरि जीवन ओकर तावेदारी ? पाइ रहने अहाँ ओकर भोग क' लेब तकरो कोनो गारंटी नंइ...घर बना क' रहि लेब; सेहो जँ लिखल हैत,तखनंहि । सेहो हैत सब किछु समये पाबि क'ने यौ ? तैं बेसी रौह बचवा जेकाँ तडफडाबी नंइबेसी।...अधिक लोभ बगुलबे किन्हा,छन मे प्राण स्ररग चल गिन्हा।' हेबाक पूर्ण संभावना! तैं ओतबे खाइ जे जुरय,रुचे आ पचे । अपन अहि सब
सिध्धांत सब पर चलि क'हम कहियो पाछतायल होइ एहन बात नंइ । हमरा जनैत सब के सांसारिकता निमाहैक सेहो किछु
सिध्धांत होइ छैक किंबा हेबाक चाही...आ कि नंइ ?
रविवार, 9 मई 2010
ह्मरअपराध,हुनक नहि दोष !
कह्ब ह्मर संगे अत्याचार हैत । हम मन मसोसि क’ अपन देश भक्ति आ देश प्रेमक गला मोंकै मे लागल रही । सत्य ज’ पूछी त’ कंप्यूटर किनलाक डेढ बर्खक बाद हम बी.एस.एन.एल.क डाटा कार्ड लेने रही जे कोनो ‘मोदी,तोदी, बाटा ,टाटा के पाइ देबा स’नीक सरकारी बी.एस.एन.एल.के पाइ दियै । मुदा दू साल स’ ई हाथीक दांत बनि
गेल छल । पछिला दिन ओकरा स’ फारकती पायल । आब कने सुस्ते शी, कनेक्शन त’ रहये ! ई बिहारे नंइ पूरा देश मे, सबतरि काज करत। ई अपना आप मे बहुत सुख
पहुंचबैला तथ्य अछि । कत’ सुदूर देहातक, कोसिकन्हाक नौह्ट्टा आ ओत’ इंटरनेट ? की आश्चर्यो ? अर्धंग डाक्तर (स्व.डाक्टर अर्धेंदु शेखर घोष) किंबा डा. मकुर्जी (मुखर्जी) कि अपन सुपति नाथ घोष स’ ज’ पुछितियनि त’ यैह कहितथि....” उरे बाबा ! की आश्चर्यो ? लेकिन यथार्थ मे स्थिति यैह छै । मोबाइल, इंटरनेट स’ दूरी जत्ते घटलैक अछि, मोनक, स्नेह्क ओतबे कमी, आपकताक त’ सर्वथा लोपे भ’ गेलैक अछि। सबहक मूल्यांकन ओकर गुण अवगुण स’ नहि, ओ कोना येनकेन प्रकारेण,
अहांक काज क’ सकैत अछि, अहि पर निर्भर छैका
सोमवार, 15 मार्च 2010
ओस्तादी खिस्सा
सोना बनेबाक तरीका बता देलकै। दोसर दिन राजा दरबार मे भिश्ती स' पुछलकै अहां हमरा राति चिन्हलंहु नंइ ? राति त' अहां सब बता देलंहु ?" भिश्ती जबाब देलकै जे राति अहां राजा नंइ छात्र जेकां विनम्र रही तैं बता देलंहु। कोनो शिक्षा बिना विनम्र बनने न
ंहि भेटि सकैत अछि।"
गुरुवार, 11 मार्च 2010
जीबी त' की की ने देखी
त' "मुखिया_पति" जेकां नेपथ्य मे पुरुखे रहतै। मुदा तेना साइकिल आ ड्रेस बंटवारा, मंझनी त' दस हज़ारक पुरस्कार बंटा रहल छैक्__तैं स्कूल आब बच्चा
नंहि छोडै छैक। शहरी छौंडीक मोकाबलामे देहातक लडकी सब बेसी सचढ, बेसी पढाक सब निकललैये। तैं बेसी दिन तक मुखिया_पतिक बोलबाला नहि रहैबाला छै। अबै बला बिहारी कि हिन्दुस्तानी लडकी सब कथुक भार अपन हाथ मे लै लए जा रहल छै। अपन कि गांव समाजक के कहे...देशक भार सम्हारै लए खोपा आ आंचर बान्हि रहल छैक। आकाशवाणीक चाकरी मे वर्षों हम महिला अधिकारीक अधीनस्थ काज केने छी। शायदे संजोगे क्यो एहन महिला अधिकारी भेटल जकर निर्णय खराब लागल हुए। आ कोनो संकट मे...? मैडम सबहक हाथ मे सत्ता रहने अहां बहुत चैन स' नौकरी क' सकै छी। काज मे फांकी, काज स' फरार रहब, काज नहिं करब...अड्डा बाजी... राजनीति आदि कैक टा लफडा__टंटा स' अनेरे अहां आ अहांक औफिस बांचल रहत । तैं 33 प्रतिशत महिला आरक्षण स' हमरा बड आशा अछि। हमरा महिलाक अधीनता सदिखन अधिक ह्यूमेन लागल अछि।
बुधवार, 10 मार्च 2010
दैया कहां गए वो लोग !
दैया, कहां गए वो लोग ?
लोक के बूझल छैक, जे अंग्रेजक आधिपत्य रहितो,राजा_महराज सब दिन कला,
संगीत आदि के संवर्धन केलकै।ओइ लए खर्च केल कै। मुदा,कैक टा एहनो राजा_महराज भेलैये जकर मूर्खता के सेहो नंहि बिसरल जयबाक चाही। अहिना एक टा घटनाक चर्च स्वर्गीय उस्ताद हाफिज़
अली खाँ अपन संस्मरण मे केलनि, जे पढि क’ “महाराजा औफ ग्वालियर, लेफ्तिनेंट जेनरल सर जौर्ज
जिवाजी राव सिंधिया” (स्व.माधव राव सिंधियाक बाप) आ ओहि घराना द्वारा देशक संग कैल गेल गद्दारी मोन पडि अबै छै। सिंधिया ज’ अंग्रेज के खबरि नहि करितथिन त’ झांसीक महारानी कालपी पहुंचि क’ तांत्या टोपे स’ भेंट करितथि। फेर जगदीशपुर जा क’ हिनका लोकनि के बाबू कुंवर सिंह स’ भेंट क’ अंग्रेज स’ लोहा लेबाक रहनि। मुदा झांसीक रानी( जे बेर_बेर अंग्रेज के कहैत एलखिन “ मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी “ )के घोडा एक टा नाला टपै काल खसि क’ मरि गेलनि आ पछोड धेने अंग्रेज सैनिक महारानी के मारै मे सफल भेल। उस्ताद हाफिज़ अली खाँ संग कैल गेल अपमान के अही परिप्रेक्ष्य मे देखल जयबाक चाही। जिवाजी केहन अंग्रेज भक्त रहथि से अहि घटना किंबा हुनकर नामक आगां लागल “जौर्ज “ नाम स’ स्पष्ट भ’ जाइत अछि। इहो सत्य जे उस्ताद के एहन राजाक छत्रछाया मे नहि रहबाक चाही जेकरा शास्त्रीय संगीतक कोनो ज्ञान नहि हुए आ जत’ अहि कोटिक गुणी के दरबारी_विदूषक बूझल जाय। मुदा उस्तादक सामने कोनो विकल्प नंहि रहल हेतनि। अही बीच जिवाजी रावक बियाह भेलनि। नव महारानी विजयाराजे (स्व.माधव राव के माए) के संगीतक सौख रहनि । उस्ताद आ हुनकर गुणो द’ बूझल रहनि। ओ अपन महाराजक लग अपन इच्छा प्रगट केलनि आ लगले उस्तादके नव महारानीके सितार सिखबैक हुकुम भेटलनि। आब साठिक अमलके उस्ताद के ‘उषाकिरण पैलेस’ तक ल’ जाइ लए एकटा रथ जेकाँ बैल गाडी आब’ लागल।
आब ओइ पर ओ रोज किलाक गेट धरि जाथि। ओहि ठाम स’ ‘उषा किरण पैलेस’ जत’ नवव्याहता महारानी विजयाराजेक सौख कोनो एक्केटा त’ रहनि नंइ। जिवाजी अंग्रेजक कत्तेटा बेलचा छलखिन ; कहिये आयल छी। तैं महारानीक ‘लेट नाइट’ पार्टीक चलते अधिक दिन त’ उस्ताद ए.डी.सी.क औफिस मे घंटों बैस क’ वापस अपन डेरा आबथि जाहि मे तीन घंटा लगनि। महारानीक संग हुनकर दू टा सखी_सहेली जे बाद मे लेडी जाधव आ लेडी पाटनकर के नामे जानल गेली, सेहो सितार सिख’ लगली। ई तीनू भी.भी.आइ.पी के योग्य सितार बनबबैलए उस्ताद हाफिज़ अली खाँ साहेब मिरज गेला। जतुक्का हाजी अब्दुल करीम खाँक बनाओल सितार विख्यात रहै। ओही ठाम स’ सितार आ तानपूरा बनि क’ आयल। तीनूक विधिवत तालीम हुअ’ लागल। दूनू लेडी जाधव आ पाटनकर के त’ मासे दिन मे बुझा गेलनि जे आन जे किछु सीखी की नंहि, संगीत धरि हुनका लोकनिक वशक बात नंहि छनि।
दुनू सासुर गेली आ दुनूक सितार नैहरेक पैलेस कि कोठीक देवाल स’ जे लटकल सॆ लटकले रहि गेल।
विजयाराजेक सितार किछु दिन तक बजैत रहल से अहि लेल नहि जे जियाजी राव के शास्त्रीय_
संगीत स’ प्रेम भ’ आयल रहनि। ओ त’जीवन भरि अंग्रेजी राज_रियासतके झलिबज्जा छला आ
जावे जीला, सैह रहला। विजयाराजे जैंकि ठाकुर चन्दन सिंहक भतीजी छली। गुणीक लोकक बेटी
छली त’ पता छलनि जे भाग्य कि सौभाग्य, हुनका किनका स’ त’ स्व. उस्ताद हाफिज़ अली सन
गुरू स’ सिखबाक अवसर द’ रहल रह्नि। अस्तु, कोनो तरहें, दस_पांच दिन मे एक बेर महारानी आ
सितार के भेंट होइ। अधिक खन महारानी के बिच्चहिं मे काजें, जाए पडनि। अधिक काल ओकर कारण बनावटी, स्त्रीयोचित, महारानीका मूड_स्विंग होइ।पैदल जाइत_अबैत बुजुर्ग उस्ताद के बड कष्ट होनि। जखनि कि जिवाजी रावक गेराज मे मर्सीडीस,पैकार्डॅ आ कैडिलैक के कतार लागल छलनि। सहजंहि उस्तादके ओ रथनुमा बैल गाडी स’ उपरोक्त मोटर गाडी सब अधिक आराम देह आ सम्मानजनक लागल रहनि। उस्तादक ई आकांक्षा जनिते जिवाजीराव के लेसि देलकनि। तुरंत अपन ए.डी.सी.के बजा क’ उस्तादक डेरा पर चारि घोडा स’ खींचल जाइ बला एक टा तोप गाडी पठेलखिन आ हुकुम भेलनि जे गाडीक छत पर उस्ताद के बैसा क’ पहिने हिनका थाटिपुर ल’ गेल जाय आ तकर बाद हिनका आर्मी परेड ग्राउंड ल’ जा क’ घोडा के फुल स्पीड मे दौडायल जाय। तहिना भेल। संगीत_साहित्य्_कला_विहीना” जिवाजी रावक यैह बुडिपना(इडियोसिंक्रेसी) रहनि । गुणी के हास्यास्पद बनायब। ओकर मखौल उडायब। समय बीतैत गेल । विजयाराजेक मोनमे सेहो संगीत की गुणी कि गुरू लेल, कोनो खास आदर नंइ रहनि। ई देख उस्तादक मोन खट्टा भ’ जाइन। अधिक काल ओ सीखै स’ बेसी एम्हर_ओम्हरक गप्प करथिन। तरह_तरह के हुकुम देथिन। फरमान सुनबथिन। एना
और्डेर करथिन जे दस लोक मे उस्तादके अपमानजनक लगनि। अहिना एक दिन विजयाराजे कहखिन जे__’आइ हमरा राग विहाग सिखाउ !” उस्ताद अजीब पेशोपेश मे पडि गेला।भोरक समय छलै आ ओम्हर महारानीक हुकुम छलनि “....राग विहाग....ऐखन..ऐखन....सिखाउ !” साठि स’ बेसी के बुज़ुर्ग ,
उस्ताद, ग्वालियर घरानाक संस्थापक, शास्त्रीय संगीतक शलाका_पुरुष, बहुत सकुचाइत, महारानीके जे किछु कहलखिन से हुनके शब्द मे प्रस्तुत अछि__” हुज़ूर, ये रात की रागिनी है और इस वक्त ये सो रही है। इसको दिन के वक्त जगाना ठीक नहीं है। खादिम हुज़ूर का ग़ुलाम है। हुज़ूर जब भी चाहेंगे ये ग़ुलाम को कभी भी रात के वक़्त आने के लिये हुकुम करें तो ये ग़ुलाम हाज़िर होकर हुज़ूर को राग विहाग कि तालीम नज़र कर देगा।“
ई घटना अपन महाराज के सुनबैत महारानी संगीतक तालीम आ उस्तादक अनुशासनक प्रशंसा करैत कहने रहथिन मुदा जिवाजी राव के फेर लेसि देने रहनि। ओ लगले अपन मिलिट्री सेक्रेटरी कर्नल सूर्या
जी राव सुर्वे के बजा क’ उस्ताद के सबक सिखबैक आज्ञा देलखिन। उस्ताद ‘उषा किरण पैलेस’ के बरसाती मे घंटों ठाढ रहलाक बाद मिलेट्री सेक्रेटरीक औफिस मे बजाओल गेला। कर्नल सुर्वे जोर_जोर स’ गरियेलखिन आ ‘नमकहराम’ ‘कमीना’ ‘बेइमान’ कहैत धमकी देलखिन जे महारानीक हुकुम नंइ मान
_बाक अपराध मे हुनका ग्वालियर रियासत स’ निकाललो जा सकैत छनि। ई सूनि बुज़ुर्ग उस्तादक ई
दशा भेलनि जे बहुत प्रयत्ने ओ ‘उषा किरण पैलेस’ स’ विदा भेला। ओत्त’ स’ ‘जय विलास पैलेस’ के
गेट तक एला आ फेर टांगा स’ अपन घर।ओइ दिन, अपन हित_अपेक्षित शागिर्दक सामने छोट नेना जेकाँ कनैत बुज़ुर्ग उस्ताद, सबके भीतर स’ हिला देलखिन । ओही दिन विजयाराजेक संगीत_शिक्षाक इति_श्री भ’ गेलनि।
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मंगलवार, 9 मार्च 2010
शनिवार, 6 मार्च 2010
रविवार, 14 फ़रवरी 2010
सिधमूंहां केमुंह....?
अमेरिके मे गाडल रहै छै, भ' सकैत अछि तौं चिकडल हुए। मुदा मास दिन स' नीक अखबारबाज़ी भेल, फेर बच्चनजीक "मधुशाला" के हुनकर महानपुत्र सस्वर गाबि ई कहखिन जे मन्दिर_मस्जिद त' दुश्मनी
करबै छै, मेल त' मधुशाले मे होइ छै, ओइ दिस स' महानकलाकार इंतजार हुसैन छला जे फैज़ के नज़्म "ये दाग़__दाग़ उजाला" सुना क' ई बता रहल छला जे शांति के आशा नहि छोडबाक चाही....की काल्हि
सांझ पूनाक जर्मन बेकरी मे पाकिस्तानक लश्कर धमाका क' क' जना देलक जे ओकर मंशा की छै ? जाबे तक सांपक मुंह के नीक जेकाँ थूरल नहि जेतै अमन के आशा जखने करब ओ ब्लास्ट क'क' बता देत जे ओकरा की चाही ?
गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010
की आश्चर्यो ?
बुधवार, 27 जनवरी 2010
रोजनामचा
हाल मे एकटा टी.भी.प्रोग्राम मे डा. हेतुकर झा कहलखिन जे मैथिल की भारतीय समाजक कोनो भविष्य नहि छैक कारण जे मल्टीनैश्नलक मोताबिक लोक के जीवन यापन कर' पडतै, तैं आब अहि समाज के संस्कृति नंहि रहत। एवरीथिंग इज़ फिनिश्ड। हमरा किछु वर्ष पूर्व भारत आयल फ्रांसिसी दार्शनिक देरीदा मोन पडि अयला। जे अबिते उद्घोष केलनि जे आब साहित्य मरि गेल, उपन्यास लए कोनो विषय शेष नहि रहल, आब कवि की कहता, सब किछु कहल चल गेल अछि। एकर किछुए दिनुका बाद पं.गोविन्द झा जी के हरलनि ने फुरलनि कहल्खिन जे आब मैथिली भाषा नहि बचत। एकर किछुए दिनुका बाद बी।जे.पी. सरकार एकरा मान्यता द' बैसलै।
शनिवार, 23 जनवरी 2010
पुनः प्रयास
ई चारिम बेर ब्लौग लिखि रहल छी। सब बेर लाइन दगा दैत अछि, ब्लौग आधे पर रहि जाइत अछि। पता नहि, अहू बेर पोस्ट हैत कि नंहि। तैं सब के हेलो ! कहैलए ई पोस्टिंग़