14 साल तक झगडा आ रगडा मे पडल रहलाक बादो महिला लए 33 प्रतिशतक आरक्षण...माने लगभग साढे चारि सौ सदस्यक लोक सभा मे सौ_डेढ सौ पुरुख_बांकी सब टा " मम्मी प्रधान मंत्री त' दीदी रेलमंत्री रहतै ? एक दू पीढी तक
त' "मुखिया_पति" जेकां नेपथ्य मे पुरुखे रहतै। मुदा तेना साइकिल आ ड्रेस बंटवारा, मंझनी त' दस हज़ारक पुरस्कार बंटा रहल छैक्__तैं स्कूल आब बच्चा
नंहि छोडै छैक। शहरी छौंडीक मोकाबलामे देहातक लडकी सब बेसी सचढ, बेसी पढाक सब निकललैये। तैं बेसी दिन तक मुखिया_पतिक बोलबाला नहि रहैबाला छै। अबै बला बिहारी कि हिन्दुस्तानी लडकी सब कथुक भार अपन हाथ मे लै लए जा रहल छै। अपन कि गांव समाजक के कहे...देशक भार सम्हारै लए खोपा आ आंचर बान्हि रहल छैक। आकाशवाणीक चाकरी मे वर्षों हम महिला अधिकारीक अधीनस्थ काज केने छी। शायदे संजोगे क्यो एहन महिला अधिकारी भेटल जकर निर्णय खराब लागल हुए। आ कोनो संकट मे...? मैडम सबहक हाथ मे सत्ता रहने अहां बहुत चैन स' नौकरी क' सकै छी। काज मे फांकी, काज स' फरार रहब, काज नहिं करब...अड्डा बाजी... राजनीति आदि कैक टा लफडा__टंटा स' अनेरे अहां आ अहांक औफिस बांचल रहत । तैं 33 प्रतिशत महिला आरक्षण स' हमरा बड आशा अछि। हमरा महिलाक अधीनता सदिखन अधिक ह्यूमेन लागल अछि।
गुरुवार, 11 मार्च 2010
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