बुधवार, 10 मार्च 2010

दैया कहां गए वो लोग !

दैया, कहां गए वो लोग ?

लोक के बूझल छैक, जे अंग्रेजक आधिपत्य रहितो,राजा_महराज सब दिन कला,

संगीत आदि के संवर्धन केलकै।ओइ लए खर्च केल कै। मुदा,कैक टा एहनो राजा_महराज भेलैये जकर मूर्खता के सेहो नंहि बिसरल जयबाक चाही। अहिना एक टा घटनाक चर्च स्वर्गीय उस्ताद हाफिज़

अली खाँ अपन संस्मरण मे केलनि, जे पढि क महाराजा औफ ग्वालियर, लेफ्तिनेंट जेनरल सर जौर्ज

जिवाजी राव सिंधिया (स्व.माधव राव सिंधियाक बाप) आ ओहि घराना द्वारा देशक संग कैल गेल गद्दारी मोन पडि अबै छै। सिंधिया ज अंग्रेज के खबरि नहि करितथिन त झांसीक महारानी कालपी पहुंचि कतांत्या टोपे स भेंट करितथि। फेर जगदीशपुर जा क हिनका लोकनि के बाबू कुंवर सिंह स भेंट क अंग्रेज स लोहा लेबाक रहनि। मुदा झांसीक रानी( जे बेर_बेर अंग्रेज के कहैत एलखिन मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी )के घोडा एक टा नाला टपै काल खसि कमरि गेलनि आ पछोड धेने अंग्रेज सैनिक महारानी के मारै मे सफल भेल। उस्ताद हाफिज़ अली खाँ संग कैल गेल अपमान के अही परिप्रेक्ष्य मे देखल जयबाक चाही। जिवाजी केहन अंग्रेज भक्त रहथि से अहि घटना किंबा हुनकर नामक आगां लागल जौर्ज नाम स स्पष्ट भ जाइत अछि। इहो सत्य जे उस्ताद के एहन राजाक छत्रछाया मे नहि रहबाक चाही जेकरा शास्त्रीय संगीतक कोनो ज्ञान नहि हुए आ जत अहि कोटिक गुणी के दरबारी_विदूषक बूझल जाय। मुदा उस्तादक सामने कोनो विकल्प नंहि रहल हेतनि। अही बीच जिवाजी रावक बियाह भेलनि। नव महारानी विजयाराजे (स्व.माधव राव के माए) के संगीतक सौख रहनि । उस्ताद आ हुनकर गुणो द बूझल रहनि। ओ अपन महाराजक लग अपन इच्छा प्रगट केलनि आ लगले उस्तादके नव महारानीके सितार सिखबैक हुकुम भेटलनि। आब साठिक अमलके उस्ताद के उषाकिरण पैलेस तक ल जाइ लए एकटा रथ जेकाँ बैल गाडी आब लागल।

आब ओइ पर ओ रोज किलाक गेट धरि जाथि। ओहि ठाम स उषा किरण पैलेस जत नवव्याहता महारानी विजयाराजेक सौख कोनो एक्केटा त रहनि नंइ। जिवाजी अंग्रेजक कत्तेटा बेलचा छलखिन ; कहिये आयल छी। तैं महारानीक लेट नाइट पार्टीक चलते अधिक दिन त उस्ताद ए.डी.सी.क औफिस मे घंटों बैस क वापस अपन डेरा आबथि जाहि मे तीन घंटा लगनि। महारानीक संग हुनकर दू टा सखी_सहेली जे बाद मे लेडी जाधव आ लेडी पाटनकर के नामे जानल गेली, सेहो सितार सिख लगली। ई तीनू भी.भी.आइ.पी के योग्य सितार बनबबैलए उस्ताद हाफिज़ अली खाँ साहेब मिरज गेला। जतुक्का हाजी अब्दुल करीम खाँक बनाओल सितार विख्यात रहै। ओही ठाम स सितार आ तानपूरा बनि क आयल। तीनूक विधिवत तालीम हुअ लागल। दूनू लेडी जाधव आ पाटनकर के त मासे दिन मे बुझा गेलनि जे आन जे किछु सीखी की नंहि, संगीत धरि हुनका लोकनिक वशक बात नंहि छनि।

दुनू सासुर गेली आ दुनूक सितार नैहरेक पैलेस कि कोठीक देवाल स जे लटकल सॆ लटकले रहि गेल।

विजयाराजेक सितार किछु दिन तक बजैत रहल से अहि लेल नहि जे जियाजी राव के शास्त्रीय_

संगीत स प्रेम भ आयल रहनि। ओ तजीवन भरि अंग्रेजी राज_रियासतके झलिबज्जा छला आ

जावे जीला, सैह रहला। विजयाराजे जैंकि ठाकुर चन्दन सिंहक भतीजी छली। गुणीक लोकक बेटी

छली त पता छलनि जे भाग्य कि सौभाग्य, हुनका किनका स स्व. उस्ताद हाफिज़ अली सन

गुरू स सिखबाक अवसर द रहल रह्नि। अस्तु, कोनो तरहें, दस_पांच दिन मे एक बेर महारानी आ

सितार के भेंट होइ। अधिक खन महारानी के बिच्चहिं मे काजें, जाए पडनि। अधिक काल ओकर कारण बनावटी, स्त्रीयोचित, महारानीका मूड_स्विंग होइ।पैदल जाइत_अबैत बुजुर्ग उस्ताद के बड कष्ट होनि। जखनि कि जिवाजी रावक गेराज मे मर्सीडीस,पैकार्डॅ आ कैडिलैक के कतार लागल छलनि। सहजंहि उस्तादके ओ रथनुमा बैल गाडी स उपरोक्त मोटर गाडी सब अधिक आराम देह आ सम्मानजनक लागल रहनि। उस्तादक ई आकांक्षा जनिते जिवाजीराव के लेसि देलकनि। तुरंत अपन ए.डी.सी.के बजा क उस्तादक डेरा पर चारि घोडा स खींचल जाइ बला एक टा तोप गाडी पठेलखिन आ हुकुम भेलनि जे गाडीक छत पर उस्ताद के बैसा क पहिने हिनका थाटिपुर ल गेल जाय आ तकर बाद हिनका आर्मी परेड ग्राउंड ल जा क घोडा के फुल स्पीड मे दौडायल जाय। तहिना भेल। संगीत_साहित्य्_कला_विहीना जिवाजी रावक यैह बुडिपना(इडियोसिंक्रेसी) रहनि । गुणी के हास्यास्पद बनायब। ओकर मखौल उडायब। समय बीतैत गेल । विजयाराजेक मोनमे सेहो संगीत की गुणी कि गुरू लेल, कोनो खास आदर नंइ रहनि। ई देख उस्तादक मोन खट्टा भ जाइन। अधिक काल ओ सीखै स बेसी एम्हर_ओम्हरक गप्प करथिन। तरह_तरह के हुकुम देथिन। फरमान सुनबथिन। एना

और्डेर करथिन जे दस लोक मे उस्तादके अपमानजनक लगनि। अहिना एक दिन विजयाराजे कहखिन जे__आइ हमरा राग विहाग सिखाउ ! उस्ताद अजीब पेशोपेश मे पडि गेला।भोरक समय छलै आ ओम्हर महारानीक हुकुम छलनि ....राग विहाग....ऐखन..ऐखन....सिखाउ ! साठि स बेसी के बुज़ुर्ग ,

उस्ताद, ग्वालियर घरानाक संस्थापक, शास्त्रीय संगीतक शलाका_पुरुष, बहुत सकुचाइत, महारानीके जे किछु कहलखिन से हुनके शब्द मे प्रस्तुत अछि__ हुज़ूर, ये रात की रागिनी है और इस वक्त ये सो रही है। इसको दिन के वक्त जगाना ठीक नहीं है। खादिम हुज़ूर का ग़ुलाम है। हुज़ूर जब भी चाहेंगे ये ग़ुलाम को कभी भी रात के वक़्त आने के लिये हुकुम करें तो ये ग़ुलाम हाज़िर होकर हुज़ूर को राग विहाग कि तालीम नज़र कर देगा।

ई घटना अपन महाराज के सुनबैत महारानी संगीतक तालीम आ उस्तादक अनुशासनक प्रशंसा करैत कहने रहथिन मुदा जिवाजी राव के फेर लेसि देने रहनि। ओ लगले अपन मिलिट्री सेक्रेटरी कर्नल सूर्या

जी राव सुर्वे के बजा क उस्ताद के सबक सिखबैक आज्ञा देलखिन। उस्ताद उषा किरण पैलेस के बरसाती मे घंटों ठाढ रहलाक बाद मिलेट्री सेक्रेटरीक औफिस मे बजाओल गेला। कर्नल सुर्वे जोर_जोर स गरियेलखिन आ नमकहराम कमीना बेइमान कहैत धमकी देलखिन जे महारानीक हुकुम नंइ मान

_बाक अपराध मे हुनका ग्वालियर रियासत स निकाललो जा सकैत छनि। ई सूनि बुज़ुर्ग उस्तादक ई

दशा भेलनि जे बहुत प्रयत्ने ओ उषा किरण पैलेस विदा भेला। ओत्त जय विलास पैलेस के

गेट तक एला आ फेर टांगा स अपन घर।ओइ दिन, अपन हित_अपेक्षित शागिर्दक सामने छोट नेना जेकाँ कनैत बुज़ुर्ग उस्ताद, सबके भीतर स हिला देलखिन । ओही दिन विजयाराजेक संगीत_शिक्षाक इति_श्री भ गेलनि।

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