गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010
की आश्चर्यो ?
.....ई लगा चारिम पांचम पोस्टिंग हैत जे ब्लौग लिखिते लिखैत, कंप्यूटर नामक वन मे कत्तौ हेडा गेल। कोनो बेर बीच मे टावर ला पता। बडा जान खिसियायल। नीक_नीक पोस्टिंग सब रहै। इहो ऊहि नंहि जे ड्राफ्ट सेव क' लितंहु। आब जे भेलै से भेलै...आर की? समय धीरे_धीरे अपन रंग जमब' लगलै। अहां बूढ आ जवान भ सकै छी...प्रकृति अक्षय यौवना होइ छै....सदा सर्वदा अपन नियत समय पर हर साल अपन चोला आ कलेवर बदलैत। अ इ बेर जाड कने बेसी पडलै, गाछ_वृक्ष सब ओहि पाला स' उबरिये रहल छै। किछु हुए, आब ओ दिन दूर नहि छै जखन कालिदासक संपूर्ण यौवनाक रक्ताभ पैरक एक हल्लुक ठोकर स' 'च्यूत_वृक्ष' मे लाल कोंपल फुटतै....ओकर संग पूरा प्रकृति देतै...सब बेर ठीक समय पर। की आश्चर्यो ?
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