मंगलवार, 1 सितंबर 2009
हालाते हाजिरा
जाहि वयसमे हम छी, ताहिमे कहां दन पहिलुका कोनो हिस्सक नँइ छूटै छै आ ने कम्प्यूटर आदि सन कोनो नव तकनीक सीखल होइ छै...ई दुनू बूढ लोकनिक कामचोरी छोडिआर किछु नँइ छियै। मोटा_मोटी चालीस वर्ष तक पान खेलाके बाद पछिला साल तमकि क' छोडि देलियै खायब। ठीके कहै छी, हमरा ने कोनो'विथड्राल सिंड्रौम' भेल आ ने हम दुखीते पडलंहु। मनुखक शरीर बहुत किछु सहै जोगर बनल छै...नीक_बेजाय,सर्द_गर्म मोन के अधिक तन के कम लगै छै। कम्प्यूटरो पर काज केनाइ कोनो युवा वर्गक बपौती नहि छियनि।
मुहल्ला डौट कौम मे शाश्वतीक आलेख ज' अपन मुख्य मंत्रीजी पढितथि...त' फूलि क' नगाडा भ' गेल रहितथि !
वर्षा भ' रहल छै...भ' रहल छै, आ सब साल जेकाँ अहू साल हमर मोन संभावित बाढि (कि प्रलय?) के सोचि भालरि भ' उठल अछि। की कोसी माइक नाटक अहू बेर हेतै...की अइ बेर बकसि देलनि हमरा सब के ? के कहे? ओकर चपेटमे त' जितिया धरि पडि सकैत छी...जे से । एखन त' एत' ओत' सबतरि सब सकुशल छैक, यैह कोन कम ?
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