मंगलवार, 8 सितंबर 2009

काल्हुक चर्चा के आगां बढाबी । संचार क्रांति स' जेना पार्थिव दूरी घटलैये___मोनक दूरी ओतबे बढैत गेलैये। गामक लोक आब सम्हरि क' बजै छै । पहिने हम शहर स' आबी त' गामक लोकक बेबाकी देखि क' अचरजमे पडि जाइ।अपन गोपनीय स' गोपनीय बात के एत्ते सहजता स' ओ लोकनि कहथिन, एना निष्कलुष भ' क' जे हम जे अवाक होइ से फुरबे ने करय जे की बाजी ! मुदा आब हमर गामक लोक पौलिश्ड भ' गेल अछि, बेसी टोनबै त' तेना दिल्ली बला 'तेरे को_मेरे को' छांटत जे टराटक्क लागि जायत। तैं गाम स; आब गामक सब गुन चल गेलैये.... शहरक सब दुर्गुण
पग_पग पर भेटत। सुधा दूध आब बिकाय लागल अछि गाम मे, तथाकथित अंग्रेजी दारूक दोकान गत दस वर्ष स' बेसी स' अछि। कोनो जनी_जाइत पहिने जकाँ नहि निकलि सकैत अछि।भ' सकैत अछि जे गामक भरि बज़ार अहां टहलि आबी आ क्यो ने अहा. के टोक़ॆ।

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