शनिवार, 12 सितंबर 2009

लिखबाक बेगरता

लिखैक वाध्यता मे कखनंहु नीको चीज़ लिखा जाइ छै ! हमरा अपन आ आनोक कैक टा रचना सब मोन पडि आयल जे अत्यधिक दबाब आ तनावमे लिखायलछलै। पैघ लेखक यथा रेणुजी(फणीश्वरनाथ रेणु) कि राजकमल,यात्री आदि आर्थिक दबाब मे लिखै छला; संपादक किंबा प्रकाशक के तगादा अबै छलनि ,लिखै जाइ छला।
शरद होथि कि अज्ञेय, पैसा बहुत पैघ मोटिभेटिंग फैक्टर छलै। सुकुर छैक जे आइ तक पैसा ई त' डिसाइड केलक जे के लिखत, कहिया लिखत ? मुदा की लिखत ? ई एखनंहु लेखके निर्णय करैत अछि।अइ देशक लोकके भूखल राखि दियौ, असुरक्षित रह' दियौ सब सहि लेत___मुदा मुंह जँ' जाबि देबै, बजैलए जँ' नंहि देलियै, त' विद्रोह क'
देत। लिखैक वाध्यता तखनो होइ छैक जखन बजै पर पाबन्दी हुए।इन्दिराक इमरजेंसी में एकर नीक अनुभव भेल लोक के !

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