एकरा कृपा छोडि आर किछु नहि कहल जेतै जे चातुर्मास्या बीत गेलै आ उत्तर बिहार बचल छै ? एक्के बेरिया चमत्कार हौ गुरूजी! ऐसनो होइ छै कभी_कभी!
आब हमरा गामक सुरता धेलक अछि। दशमीमे त' गाम मे नहि रहब... नहि सोचलंहु अछि जे कत' रहब। मुदा हम अपन नव हौबी, ऐ ब्लौग स', भ' सकैत अछि जे बहुत दिन तक दूर भ' जाइ। की कहू, अपन हारल आ बहुअक मारल लोक बजैत अछि? देश भक्तिक उदात्त भावना वश, हम छौ मास रुकलंहु, आ जखन बी.एस.एन.एल. अपन इंटरनेट वायरलेस सेवा शुरू केलकै त' पांच हज़ार खर्च क' ओकरे डाटा कार्ड लेलं। से की कहू,जाबे तक खोजा इमली मे सडकक कात मे रही त' इंटरनेट काज करैत रहल...आब कौखन क' क जाइत अछि। देश भक्तिक नीक फल भेटल।जखन की रिलायेंसक कनेक्शन सबतरि छै। गाम माने नौहट्टा जायब सजाय सन लगैत अछि। जत' धर्म,परोपकार,व्यवसाय, समाज सेवा आ सामाजिक शोषण एके संगे होइत हुए, जत' धर्म क' अपना के अमर बनेबाक वामनी_वृत्ति सब पर हाबी हुए...जत' लोकके अपन कोनो सोच नै हुए, मात्र लक्ष्मीपति भेल ताके; पात्र_कुपात्र के तकैये...पाइ डकैतिये स' कियैक ने अर्जल हुए...हमर ग्रामीण ओकर अंध अनुसरणकर्ता रहल अछि सदाय; तैं हमरा नौहट्टा जा क' दिन_राति लाउड स्पीकर सुनैत रहबाक कोनो इच्छा नहि अछि...अवश्ये, हमर पिता, बहुत गलत जगह के अपन घर मानि लेलनि। आब अ ताबेइमे ककर सक्क ?
बुधवार, 2 सितंबर 2009
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