गुरुवार, 5 नवंबर 2009

भ्रष्टाचार आजुक सदाचार

यदि सत्य पूछी त' लालू बिहारक राजगद्दी पर बैसल त' संयोग स'___मुदाओकर एहन कैकटा निर्णय छैक जकर मारल बहुत दिन तक बिहारी लोक काँई_काँई करैत रहत।ओना ज' गनाब' लागी त' लालू कालक, आ लालूक कैलहा भ्रष्टाचार पर (ललुआके कोनो मुंहलगुआ भने लिखि दौ, नहि त' ओकरा कत' स' अवगति एलै किताब लिखैके ?) कैकटा ने 'बेस्ट्सेलर' लिखल जा सकैत अछि।
ओ भ्रष्ट_आचार के सही आचार बना देलकै। पकडायल त' जेलेके फाइभ स्टार होटल बना क', बाहुबली नेता सबके रास्ता साफ क' देलकै। अपन अनपढे नंइ, गंवार बहु के सोइरी आ भनसाघर स' खींच क' मुख्य मंत्री बना क' लोकतंत्रक विपर्ययके तत' ल' गेलै, जे आब मधू कोडाक' हज़ारों_लाखों करोड टाका भोजन क' जयबाक सनसनीखेज़ खबरि कन्नेको उत्सुकता नहि जगबैत छै। गणित कैल गेलैये जे ओकर प्रतिदिनक आय ढेढ करोड टाका छलै....महलमे रहै छल, देश_विदेश जा जा क' विपन्न आदिवासी_बनवासी सबहक टाका ल' क' छ्हर_महर करैत छल।तैं दू_दू ठाम, दू दू बेर लोक देख लेलकै_ने छोट _पैघ जाति स', ने धनिक_गरीब भेला स', ने पढल कि मूर्ख रहला स' किछु फर्क पडै छै। 'ईज़ी' मनी हाथ लगिते, ने कोनो आचार, ने कोनो विचार, आ ने कोनो संस्कार रहै छै__बस दूनू हाथे जत्ते हंसोथि सकी से हंसोथि ली, चाहे तकर बाद अस्पताल कि जेले मे कियै ने रह' पडै। यैह ललुओ केलक, आ सैह मधू कोडा एंड कंपनियों केलनि। भ्रष्टाचार के ललुआ__ लोकाचार कि सदाचार बना देलकै। सह्जें लोक ई जातिक बुद्धिक डर मानैत अछि ? वोट मंगै लए फेरयैह सब आयत, तखन मोन रहत ने ?

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