रविवार, 30 अगस्त 2009
काल्हि सुभाषक लघुकथा संग्रह 'बनैत_बिगडैत'के चर्र्चा भेल रहै। भाइ साहेब( राजमोहनझा) स' पट्ना मे भेल'सगर राति दीप जरय' आ राज़कमल पुण्य़ तिथि पर भेल आयोजनक गप भेलै । कोना मरलाक बाद कोनो लेखक के जेना मोन होइ छै लोक मनोनुकूल आ समयानुकूल ढारि क' लोक पेश क' दैत छैक । नँइ त' राजकमल आमार्क्स् वाद...? राज्नीति हुनकर प्रिय विषय नँइ छलनि। ज्नता हुनकर विचारे भीड होइत छैक, जकर ने कोनो विचार होइ छै आने कोनो व्यक्तित्वे।
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श्रीमान, अंतर्जालीय जालवृत्तपर अहाँक स्वागत अछि।
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