शुक्रवार, 28 अगस्त 2009
स्वागतम्, सु स्वागतम्
अपनेक स्वागत करैत हमरा अपार हर्ष भ' रहल अछि, आ एक तरह स' हम अपने सब पाठक_पाठिका के अपन वर्तमानमे ताक_झांक करबाक हकार द' रहल छी। आउ, अहि ब्लौगक माध्यम स' किछु अप्पन आकिछु आनक गप्प कैल जाय। जनिते छी जे मैथिल आ बूढ गप्प करै लए छछनल रहैत अछि, हम दुनू छी। मुदा ध्यान देबै, 'वादे_वादे जायते तत्व बोधः' सेहो कहल गेलैये। कहल गेलैक अछि जे __जँ केलेके पात पात मे पात,त्यों संतन के बात बात मे बात।'से गप हरदम गपे नँइ होइ छै । गप्पे गप मे अत्यंत सार्थक निष्कर्ष सेहो निकलै छैक आ भयावह स' भयावह घटनाक सूत्रपात सेहो होइत छैक। हमर इच्छा अछि जे अही बहाने हम अपन इष्ट_मित्र कि पठक लोकनि के अपन बात कहि सकियनि आ जँ संभव हुए त हुनकर प्रतिक्रियो जानि सकी। ई बात कथा लिखि क' नहि भ' सकैत अछि। किछु जँ नव लिखब कि करब; तकर सूचना त' देबे करबजे आनो जँ कोनो महत्वपूर्ण काज जँ कत्तौ हेतै त' अवश्ये से हमर चर्चाक विषय हेबे करत। साहित्य आ कला जगतक हलचल किंबा राजनीतिक बिपटइ जँ कत्तौ हेतै त' हमरा कोना क'ल पडत ? ओकर चटकार ल' क' चर्चा करब आ अपनंहु स' ओइ मादे अहांक विचार जनैक प्रयास करब। श्री गजेन्द्र ठाक़ुर ज़ॆ विदेह ई मैगज़िन बहार करै छथि से हमर प्रिय मित्र आ अनुजवत लेखक भाइ सुभाषचन्द्र यादवक लघुकथा संग्रह 'बनैत बिगडैत' प्रकाशित करबा बडका काज केलनि अछि।
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