रविवार, 18 अक्तूबर 2009

मंगनीक चन्दन,,घंस रघुनन्दन् रघुनन्दन्

कोनो नवहटिया के कहबै ने, त' कहै स' पहिने हँस' लागत। नवहट्टा मे सदाय स' गप्पी नहि...एहन गप्प होइत रहलैये जे गप्पी सबहक गप्पक विषय हो...कने सोचियौ ने जे ताडक गाछक क्यो बियाह करेने हैत कत्तौ ?किन्नहु ने ।महराज दरभंगो कुकुरे बिलाइ तक सीमित रहला।मुदा नवहट्टा मे भेलैये । ककरो पाइ हेतै त' ऐ बैबे कि ओइ बैबे ओ गाम मे बँटने फिरतै ? मुदा आइक तारीख मे पचीस_पचास टा नभटिया एहन हैत जे कत' ने कत' स'___कैक करोड कि कैक अरब टाका कमा क आयल ओ नभटिया, कम्मे वयसक एकदमे निम्न मध्यम वर्गक ओ नवयुवक स' पाबि रहल अछि । चाहे जेना कमायल हो, टाका के ओ औकात बता रहल छै ।कहै टा नहि छै ओ नवहटिया युवक एन।आर.आइ.....जकरा पर ढरल, दू _चारि....हज़ार नहि महराज, दू_चारि लाख द' दै छै । छै कोनो गाममे कोनो एहन् धनपति ? एखन दस_बीस_टा नवहटिया ऊठि बैसल अछि। सबहक मोनमे जेना.... ऐसा मौका फिर कहाँ मिलेगाक.. भाव।
भने सब बरदायल अछि। खाली मरं_मोकदमा ,झांई_झंझट नहि करे। नवहट्टामे ओलबा _दोलबा नहि उठाबय, आ अंत मे मन्दिर बनाबय; जल्दी।

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